धीरुभाई अम्बानी की कहानी (Dhirubhai Ambani Story)
बड़े सपने देखिये क्यूंकि बड़े सपने देखने वालों के सपने ही पूरे हुआ करते हैं ऐसा कहना है धीरू भाई अम्बानी का, जिन्होंने एक साधारण परिवार से दुनियाँ के सबसे अमीर(Richest) इंसानों में से एक होने का संघर्ष भरा रास्ता तय किया और कठिन परिस्थियों में भी अपने साहस के दम पर सफलता हासिल की। धीरज लाल हीराचंद अम्बानी(धीरूभाई अम्बानी) का जन्म 28 दिसंबर 1932 को जूनागढ़ राज्य में हुआ था जो गुजरात में स्थित है। इनके पिता एक स्कूल टीचर थे और ये दूसरे नम्बर के पुत्र थे। धीरू भाई अम्बानी के अनुसार उन्होंने अपने entrepreneur करियर की शुरुआत “पकोड़े” बेचने के काम से की थी जो वो बचपन में weekends पे किया करते थे। जब वो 16 साल के हुए तो यमन(दुबई) चले गए जहाँ ये A. Besse & Co. नाम की Company में मात्र 300 रुपये तनख्वा(Salary) पे काम करते थे। करीब 2 साल तक उसी कंपनी में काम करते हुए ऊँचे पद पर भी पहुँचे। उनकी शादी कोकिलाबेन से हुई जिनसे उनको 2 पुत्र – मुकेश अम्बानी और अनिल अम्बानी, और 2 बेटियां नीना कोठारी और दीप्ति सालगोकर।
1962 में धीरूभाई अम्बानी भारत वापस लौटे और मात्र 15,000 रुपये से Reliance Commercial Corporation की शुरुआत की। शुरूआती दिनों में Reliance Commercial Corporation में polyester का काम किया जाता था। 1965 में वो अपने Business पार्टनर चम्पकलाल दामनी से अलग हुए और खुद ही अकेले कम्पनी का नेतृत्व किया। इसका कारण उन दोनों के विचारों का ना मिलना माना जाता है क्यूंकि धीरूभाई अम्बानी रिस्क लेने में यकीन रखते थे और उनकी यही आदत उनको दूसरों से अलग करती थी। उन्होंने अकेले दम पर कंपनी को चलाया और एक अच्छे लेवल तक पहुँचाया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और Telecommunications, Information Technology, Energy, Power, Retail, Textiles, Capital Markets and Logistics में भी Business आगे बढ़ाया।
इसी तरह उन्होंने पूरे भारत में अपना औद्योगिक साम्राज्य फैलाया और इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए उन्होंने एक बड़ा कीर्तिमान हासिल किया – दुनियाँ के सबसे अमीर(Richest Person in the World) इंसानों में से एक होने का। इसी वजह से Forbes की टॉप billionaires की सूची में उन्हें स्थान मिला और Sunday Times की सूची में टॉप 50 Asian Businessman में चुने गए। धीरूभाई अम्बानी एक के बाद एक बड़ी बुलंदियों को छूते चले गए और उन्हें FICCI की ओर से “Man of 20th Century” का अवार्ड भी मिला। धैर्य और दृंढ संकल्प के धनी धीरूभाई अम्बानी को अपने सपनों पर विश्वास था और उन्होंने अपने सपने पूरे भी किये। उनका विश्वास था कि- “एक दिन धीरूभाई चला जायेगा लेकिन Reliance के कर्मचारी और शेयर होल्डर इसको चलाते रहेंगे, Reliance अब एक सोच बन चुकी है”
1986 में ये इतिहासपुरुष हमेशा के लिए दुनियाँ को छोड़कर चला गया और इनके बाद इनके पुत्र कम्पनी को संभाल रहे हैं.
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