बहुत समय पहले की बात है। एक आदमी बहुत अमीर थाऔर वह देश विदेश में अपने व्यापार के लिए यात्रा कर रहा था। एक बार वो एक लंबा रास्ता यात्रा करने के बाद वो वापस आ रहे थे और अचानक सागर में तूफान शुरु हो गयी और ऐसा लग रहा था की अब बचने का कोई रास्ता नहीं है। इस आदमी को एक सुंदर महल था। और उसे इस पर गर्व था उसके देश का राजा को भी ऐसा महल नहीं था और कई राजा ने उसको ज्यादा कीमत देकर वो महल लेने की कोशिश की थी और उसके अलावा कई अन्य अमीर ने बड़ी राशि देकर उसके महल को लेने की बात की थी। लेकिन ये आदमी किसी को भी महल बेचने का मना कर दिया था।
लेकिन अब अपने ही जीवन खतरे में था तब उसने भगवान से प्रार्थना की इस तूफान से में बहार निकल जाये और बच जाये तो में ये महल बेचकर उसका जितना भी पैसा आएगा वो सब गरीब लोगो को बेच दूंगा। और एक चमत्कार हुआ। जल्द ही, तूफान शांत हो रहा था।और जैसे तूफान कम होने लगा तो तुरंत ही उसके मन में दुसरा विचार आया। की महल बेच देना वो तो थोडा ज्यादा होगा और हो सकता है एक समय के बाद तूफान शांत होने ही वाला था। मुझे ये महल बेचने की बात नहीं करनी थी।
उसके आश्चर्य करने के लिए, पानी फिर से उछाल शुरू कर दिया और तूफान की भयंकरता और ज्यादा हो गयी।तो वह बहुत डर गया था। और उसने फिर प्रार्थना की हे प्रभु, मैं नासमझ (मुर्ख) हूं मेरे विचारों की चिंता मत करो, मैंने जो बोला वो तो में करके ही रहूगा मेरा महल बेचकर मुझे जो मिलेगा वो में गरीब को दे दूंगा। फिर एक बार तूफान शांत हो गया। और फिर उसको दूसरा विचार आया लेकिन इस बार वह बहुत डर गया था।
तूफान चला गया था और यह तट पर पहुंच गया था। अगले दिन वह अपने महल को बेचने के लिए शहर घोषित कर दिया तब राजा और अमीर को आमंत्रित किया। प्रत्येक शहर के उच्च स्तर के अधिकारियों से लेकर राजा, मंत्री, धनवान लोग आ गए हर किसी ये घर खरीदने के लिए चाहता था। लेकिन ये आदमी जो कर रहा था वो देखके कुछ नया ही लग रहा था वह महल के पास एक बिल्ली रखी है, और वह लोगो से कहा, की बिल्ली का मूल्य 10 लाख है और ये महल की कीमत उसके पास कुछ नही है लेकिन मैं ये दोनों को एक ही व्यक्ति एक साथ बेच देने वाला हु। पूरी बात अजीब थी लोग सोच रहे थे ये बिल्ली सामान्य है और जरुर ये कोई बाजार से ले आया है लेकिन हमें क्या? हमें इनसे क्या निस्बत।
राजा ने बिल्लियों १० लाख और महल दोनों को कोड़ी द्वारा खरीद लिया। तो फिर येआदमी ने कोडी भिखारी को देकर ऊपर देखा और भगवन को बोला की भगवान मैंने जो मन्नत मानी थी वो मैंने पूरी करदी ये महल की जो कीमत आई वो भिखारी को देदी है जो काम डर से किया जाता है उसमे हम मन नहीं लगाते हे। और हम हेरफेर करने के लिए शुरू हो जाते है और हम अपने आप को स्वयं को धोखा कर रहे हैं।
काम डर से नहीं प्यार करना चाहिए। भगवान को डर से नहीं है प्रेम से याद करो। वो ऊपर नहीं हमारे अंदर ही है उन्हें सौदेबाजी से नही आस्था और विश्वास से जीता जा सकता है । लेकिन हमारे समाज में ऐसा हो गया है कि हम हर चीज की कीमत करते है और हम मूल्य में विश्वास डाल ने लगते है। और कुल मिलाकर हम अपने आप को धोखा दे रहे थे ।
लेकिन अब अपने ही जीवन खतरे में था तब उसने भगवान से प्रार्थना की इस तूफान से में बहार निकल जाये और बच जाये तो में ये महल बेचकर उसका जितना भी पैसा आएगा वो सब गरीब लोगो को बेच दूंगा। और एक चमत्कार हुआ। जल्द ही, तूफान शांत हो रहा था।और जैसे तूफान कम होने लगा तो तुरंत ही उसके मन में दुसरा विचार आया। की महल बेच देना वो तो थोडा ज्यादा होगा और हो सकता है एक समय के बाद तूफान शांत होने ही वाला था। मुझे ये महल बेचने की बात नहीं करनी थी।
उसके आश्चर्य करने के लिए, पानी फिर से उछाल शुरू कर दिया और तूफान की भयंकरता और ज्यादा हो गयी।तो वह बहुत डर गया था। और उसने फिर प्रार्थना की हे प्रभु, मैं नासमझ (मुर्ख) हूं मेरे विचारों की चिंता मत करो, मैंने जो बोला वो तो में करके ही रहूगा मेरा महल बेचकर मुझे जो मिलेगा वो में गरीब को दे दूंगा। फिर एक बार तूफान शांत हो गया। और फिर उसको दूसरा विचार आया लेकिन इस बार वह बहुत डर गया था।
तूफान चला गया था और यह तट पर पहुंच गया था। अगले दिन वह अपने महल को बेचने के लिए शहर घोषित कर दिया तब राजा और अमीर को आमंत्रित किया। प्रत्येक शहर के उच्च स्तर के अधिकारियों से लेकर राजा, मंत्री, धनवान लोग आ गए हर किसी ये घर खरीदने के लिए चाहता था। लेकिन ये आदमी जो कर रहा था वो देखके कुछ नया ही लग रहा था वह महल के पास एक बिल्ली रखी है, और वह लोगो से कहा, की बिल्ली का मूल्य 10 लाख है और ये महल की कीमत उसके पास कुछ नही है लेकिन मैं ये दोनों को एक ही व्यक्ति एक साथ बेच देने वाला हु। पूरी बात अजीब थी लोग सोच रहे थे ये बिल्ली सामान्य है और जरुर ये कोई बाजार से ले आया है लेकिन हमें क्या? हमें इनसे क्या निस्बत।
राजा ने बिल्लियों १० लाख और महल दोनों को कोड़ी द्वारा खरीद लिया। तो फिर येआदमी ने कोडी भिखारी को देकर ऊपर देखा और भगवन को बोला की भगवान मैंने जो मन्नत मानी थी वो मैंने पूरी करदी ये महल की जो कीमत आई वो भिखारी को देदी है जो काम डर से किया जाता है उसमे हम मन नहीं लगाते हे। और हम हेरफेर करने के लिए शुरू हो जाते है और हम अपने आप को स्वयं को धोखा कर रहे हैं।
काम डर से नहीं प्यार करना चाहिए। भगवान को डर से नहीं है प्रेम से याद करो। वो ऊपर नहीं हमारे अंदर ही है उन्हें सौदेबाजी से नही आस्था और विश्वास से जीता जा सकता है । लेकिन हमारे समाज में ऐसा हो गया है कि हम हर चीज की कीमत करते है और हम मूल्य में विश्वास डाल ने लगते है। और कुल मिलाकर हम अपने आप को धोखा दे रहे थे ।
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