Monday, 14 September 2015

The Power of Positive Thinking सकारात्मक सोच की शक्ति

The Power of Positive Thinking  सकारात्मक सोच की शक्ति

सकारात्मक सोच के बिना जिंदगी अधूरी है| सकारात्मक सोच की शक्ति से घोर अन्धकार को भी आशा की किरणों से रौशनी में बदला जा सकता है| हमारे विचारों पर हमारा स्वंय का नियंत्रण होता है इसलिए यह हमें ही तय करना होता है कि हमें सकारात्मक सोचना है या नकारात्मक|

हर विचार एक बीज है  Every Thought is a Seed

हमारे पास दो तरह के बीज होते है सकारात्मक विचार एंव नकारात्मक विचार है, जो आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण एंव व्यवहार रुपी पेड़ का निर्धारण करता है| हम जैसा सोचते है वैसा बन जाते है इसलिए कहा जाता है कि जैसे हमारे विचार होते है वैसा ही हमारा आचरण होता है| यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने दिमाग रुपी जमीन में कौनसा बीज बौते है| थोड़ी सी चेतना एंव सावधानी से हम कांटेदार पेड़ को महकते फूलों के पेड़ में बदल सकते है|

डेविड एंव गोलियथ की कहानी David and Goliath Bible Story in Hindi

बाइबिल की एक कहानी काफी प्रसिद्ध है| एक गाँव में गोलियथ नाम का एक ऱाक्षस था। उससे हर व्यक्ति डरता था एंव परेशान था। एक दिन डेविड नाम का भेंङ चराने वाला लङका उसी गाँव में आया जहाँ लोग राक्षस के आतंक से भयभीत थे। डेविड ने लोगों से कहा कि आप लोग इस राक्षस से लङते क्यों नही हो?

तब लोगों ने कहा- वो इतना बङा है कि उसे मारा नही जा सकता

डेविड ने कहा - आप सही कह रहे है कि वह राक्षस बहुत बड़ा है| लेकिन बात ये नही है कि बङा होने की वजह से उसे मारा नही जा सकता, बल्कि हकीकत तो ये है कि वह इतना बङा है कि उस पर लगाया निशाना चूक ही नही सकता। फिर डेविड ने उस राक्षस को गुलेल से मार दिया। राक्षस वही था, लेकिन डेविड की सोच अलग थी।

कौनसे रंग का चश्मा पहना है? Positive or Negative

जिस तरह काले रंग का चश्मा पहनने पर हमें सब कुछ काला और लाल रंग का चश्मा पहनने पर हमें सब कुछ लाल ही दिखाई देता है उसी प्रकार नेगेटिव सोच से हमें अपने चारों ओर निराशा, दुःख और असंतोष ही दिखाई देगा और पॉजिटिव सोच से हमें आशा, खुशियाँ एंव संतोष ही नजर आएगा|

यह हम पर निर्भर करता है कि सकारात्मक चश्मे से इस दुनिया को देखते है या नकारात्मक चश्मे से| अगर हमने पॉजिटिव चश्मा पहना है तो हमें हर व्यक्ति अच्छा लगेगा और हम प्रत्येक व्यक्ति में कोई न कोई खूबी ढूँढ ही लेंगे लेकिन अगर हमने नकारात्मक चश्मा पहना है तो हम बुराइयाँ खोजने वाले कीड़े बन जाएंगे|

नकारात्मक से सकारात्मक की ओर- From negative to positive

सकारात्मकता की शुरुआत आशा और विश्वास से होती है| किसी जगह पर चारों ओर अँधेरा है और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा और वहां पर अगर हम एक छोटा सा दीपक जला देंगे तो उस दीपक में इतनी शक्ति है कि वह छोटा सा दीपक चारों ओर फैले अँधेरे को एक पल में दूर कर देगा| इसी तरह आशा की एक किरण सारे नकारात्मक विचारों को एक पल में मिटा सकती है|

नकारात्मकता को नकारात्मकता समाप्त नहीं कर सकती, नकारात्मकता को तो केवल सकारात्मकता ही समाप्त कर सकती है| इसीलिए जब भी कोई छोटा सा नकारात्मक विचार मन में आये उसे उसी पल सकारात्मक विचार में बदल देना चाहिए|

उदाहरण के लिए अगर किसी विद्यार्थी को परीक्षा से 20 दिन पहले अचानक ही यह विचार आता है कि वह इस बार परीक्षा (Exam) में उत्तीर्ण नहीं हो पाएगा तो उसके पास दो विकल्प है या तो वह इस विचार को बार-बार दोहराए और धीरे-धीरे नकारात्मक पौधे को एक पेड़ बना दे या फिर उसी पल इस नेगेटिव विचार को पॉजिटिव विचार में बदल दे और सोचे कि कोई बात नहीं अभी भी परीक्षा में 20 दिन यानि 480 घंटे बाकि है और उसमें से वह 240 घंटे पूरे दृढ़ विश्वास के साथ मेहनत करेगा तो उसे उत्तीर्ण होने से कोई रोक नहीं सकता| अगर वह नेगेटिव विचार को सकारात्मक विचार में उसी पल बदल दे और अपने पॉजिटिव संकल्प को याद रखे तो निश्चित ही वह उत्तीर्ण होगा|

सकारात्मक सोचना या न सोचना हमारे मन के नियंत्रण में है और हमारा मन हमारे नियन्त्रण में है| अगर हम अपने मन से नियंत्रण हटा लेंगे तो मन अपनी मर्जी करेगा और हमें पता भी नहीं चलेगा की कब हमारे मन में नकारात्मक पेड़ उग गए है|

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