Thursday 19 November 2015

सच्ची मदद हिंदी कहानी

Real Help Hindi Inspirational Story

hindi stories, all moral hindi stories, moral storiesएक नन्हा परिंदा अपने परिवार-जनों से बिछड़ कर अपने आशियाने से बहुत दूर आ गया था। उस नन्हे परिंदे को अभी उड़ान भरने अच्छे से नहीं आता था उसने उड़ना सीखना अभी शुरू ही किया था ! उधर नन्हे परिंदे के परिवार वाले बहुत परेशान थे और उसके आने की राह देख रहे थे। इधर नन्हा परिंदा भी समझ नहीं पा रहा था कि वो अपने आशियाने तक कैसे पहुंचे? वह उड़ान भरने की काफी कोशिश कर रहा था पर बार-बार कुछ ऊपर उठ कर गिर जाता।

कुछ दूर से एक अजनबी परिंदा अपने मित्र के साथ ये सब दृश्य बड़े गौर से देख रहा था। कुछ देर देखने के बाद वो दोनों परिंदे उस नन्हे परिंदे के करीब आ पहुंचे। नन्हा परिंदा उन्हें देख के पहले घबरा गया फिर उसने सोचा शायद ये उसकी मदद करें और उसे घर तक पहुंचा दें। अजनबी परिंदा- क्या हुआ नन्हे परिंदे काफी परेशान हो ? नन्हा परिंदा- मैं रास्ता भटक गया हूँ और मुझे शाम होने से पहले अपने घर लौटना है। मुझे उड़ान भरना अभी अच्छे से नहीं आता। मेरे घर वाले बहुत परेशान हो रहे होंगे। आप मुझे उड़ान भरना सीखा सकते है ? मैं काफी देर से कोशिश कर रहा हूँ पर कामयाबी नहीं मिल पा रही है।

अजनबी परिंदा- (थोड़ी देर सोचने के बाद )- जब उड़ान भरना सीखा नहीं तो इतना दूर निकलने की क्या जरुरत थी ? वह अपने मित्र के साथ मिलकर नन्हे परिंदे का मज़ाक उड़ाने लगा। उन लोगो की बातों से नन्हा परिंदा बहुत क्रोधित हो रहा था।

अजनबी परिंदा हँसते हुए बोला- देखो हम तो उड़ान भरना जानते हैं और अपनी मर्जी से कहीं भी जा सकते हैं। इतना कहकर अनजान परिंदे ने उस नन्हे परिंदे के सामने पहली उड़ान भरी। वह फिर थोड़ी देर बाद लौटकर आया और दो-चार कड़वी बातें बोल पुनः उड़ गया। ऐसा उसने पांच- छः बार किया और जब इस बार वो उड़ान भर के वापस आया तो नन्हा परिंदा वहां नहीं था। अजनबी परिंदा अपने मित्र से- नन्हे परिंदे ने उड़ान भर ली ना? उस समय अनजान परिंदे के चेहरे पर ख़ुशी झलक रही थी।  दोस्त परिंदा- हाँ नन्हे परिंदे ने तो उड़ान भर ली लेकिन तुम इतना खुश क्यों हो रहे हो मित्र? तुमने तो उसका कितना मज़ाक बनाया।

अजनबी परिंदा- मित्र तुमने मेरी सिर्फ नकारात्मकता पर ध्यान दिया। लेकिन नन्हा परिंदा मेरी नकारात्मकता पर कम और सकारात्मकता पर ज्यादा ध्यान दे रहा था। इसका मतलब यह है कि उसने मेरे मज़ाक को अनदेखा करते हुए मेरी उड़ान भरने वाली चाल पर ज्यादा ध्यान दिया और वह उड़ान भरने में सफल हुआ।

 दोस्त परिंदा- जब तुम्हे उसे उड़ान भरना सिखाना ही था तो उसका मज़ाक बनाकर क्यों सिखाया ? अजनबी परिंदा- मित्र, नन्हा परिंदा अपने जीवन की पहली बड़ी उड़ान भर रहा था और मैं उसके लिए अजनबी था। अगर मैं उसको सीधे तरीके से उड़ना सिखाता तो वह पूरी ज़िंदगी मेरे एहसान के नीचे दबा रहता और आगे भी शायद ज्यादा कोशिश खुद से नहीं करता। मैंने उस परिंदे के अंदर छिपी लगन देखी थी। 

जब मैंने उसको कोशिश करते हुए देखा था तभी समझ गया था इसे बस थोड़ी सी दिशा देने की जरुरत है और जो मैंने अनजाने में उसे दी और वो अपने मंजिल को पाने में कामयाब हुआ।अब वो पूरी ज़िंदगी खुद से कोशिश करेगा और दूसरों से कम मदद मांगेगा। इसी के साथ उसके अंदर आत्मविश्वास भी ज्यादा बढ़ेगा। मित्र परिंदे ने अनजान परिंदे की तारीफ करते हुए बोला तुम बहुत महान हो, जिस तरह से तुमने उस नन्हे परिंदे की मदद की वही सच्ची मदद है !

दोस्तों सच्ची मदद वही है जो मदद पाने वाले को ये महसूस न होने दे कि उसकी मदद की गयी है . बहुत बार लोग मदद तो करते हैं पर उसका ढिंढोरा पीटने से नहीं चूकते . ऐसी मदद किस काम की ! परिंदों की ये कहानी हम इंसानो के लिए भी एक सीख है कि हम लोगों की मदद तो करें पर उसे जताएं नहीं !

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