Ring Value Hindi Story

गुरु जी बोले, अच्छा कोई बात नहीं अब तुम इसे लेकर किसी जौहरी के पास जाओ और इसे बेचने की कोशिश करो। शिष्य एक बार फिर अंगूठी लेकर निकल पड़ा, पर इस बार भी कुछ ही देर में वापस आ गया। क्या हुआ, इस बार भी कोई इसके बदले 1 अशर्फी भी देने को तैयार नहीं हुआ? गुरूजी ने पुछा। शिष्य के हाव -भाव कुछ अजीब लग रहे थे, वो घबराते हुए बोला, अररे नहीं गुरु जी, इस बार मैं जिस किसी जौहरी के पास गया सभी ने ये कहते हुए मुझे लौटा दिया की यहाँ के सारे जौहरी मिलकर भी इस अनमोल हीरे को नहीं खरीद सकते इसके लिए तो लाखों अशर्फियाँ भी कम हैं।
यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है, गुरु जी बोले, जिस प्रकार ऊपर से देखने पर इस अनमोल अंगूठी की कीमत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता उसी प्रकार किसी व्यक्ति के वस्त्रों को देखकर उसे आँका नहीं जा सकता।व्यक्ति की विशेषता जानने के लिए उसे भीतर से देखना चाहिए, बाह्य आवरण तो कोई भी धारण कर सकता है लेकिन आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का भण्डार तो अंदर ही छिपा होता है।
शिष्य की जिज्ञासा शांत हो चुकी थी। वह समझ चुका था कि बाहरी वेश-भूषा से व्यक्ति की सही पहचान नहीं हो सकती, जो बात मायने रखती है वो ये कि व्यक्ति भीतर से कैसा है ! आज के युग में आप क्या पहनते हैं …कैसे दिखते हैं इसकी अपनी महत्त्व है, और इंटरव्यू या सभा वगैरा में तो इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। पर ये भी सच है कि सिर्फ बाहरी दिखावट से इंसान को जज नहीं किया जा सकता। इसलिए हमें कभी भी किसी को सिर्फ इसलिए छोटा नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसने अच्छे कपड़े नहीं पहने या किसी को सिर्फ इसलिए बहुत बड़ा नहीं समझना चाहिए क्योंकि वो बहुत अच्छे से तैयार है। इंसान का असली गुण तो उसके भीतर होता है और वही उसे अच्छा या बुरा बनाता है।
0 comments:
Post a Comment