हम कई बार अपनी समस्याओं एंव दुखों का कारण इस संसार या अन्य लोगों को मानते है और सोचते है कि काश हम इस संसार को बदल सकते”। लेकिन सच तो यह है कि हमारी समस्याओं की वजह हम स्वंय होते है। अगर हम संसार कि जगह स्वंय के बारे में थोड़ा सा सोच ले और बदलाव ले आयें तो हमारी ज्यादातर समस्याएँ मिट सकती है।
एक गाव में एक राजा रहता था। राजा जब भी महल से बाहर जाता, हमेशा अपने घोड़े पर ही जाता था। एक बार वह अपने गाव को देखने एंव जनता की समस्याओं को सुनने के लिए पैदल ही भ्रमण पर निकला। उस समय जूते नहीं होते थे इसलिए जमींन पर कंकड़ और पत्थरों के कारण राजा के पैर दुखने लगे। राजा ने इस समस्या के हल के लिए अपने मंत्रियों की एक बैठक बुलाई। ज्यादातर मंत्रियों का यही सुझाव था कि क्यों न पूरे गाव के रास्ते को चमड़े की मोटी परत से ढक दिया जाए।लेकिन इसके लिए बहुत सारे धन एंव अन्य संसाधनों की जरूरत थी।
तभी राजा के पास खड़े एक सिपाही ने सुझाव दिया कि पूरे गाव को चमड़े की परत से ढकने से अच्छा यह है कि क्यों न हम अपने पैरों को ही चमड़े की परत से ढक दें। इससे न केवल हमारे पैर सुरक्षित रहेंगे बल्कि ज्यादा धन भी खर्च नहीं होगा। सिपाही का सुझाव सुनकर राजा प्रसन्न हुआ और उसने सभी के लिए “जूते” बनवाने का आदेश दिया।
0 comments:
Post a Comment