Hindi Moral Story
भारत के अंतिम गवर्नर जनरल और पहली बार भारत रत्न पुरस्कार विजेता सी राजगोपालाचारी यानि की राजाजी के जीवन का ये महत्वपूर्ण अवसर है। 1916 के साल की बात है। सी राजगोपालाचारी की पत्नी अलामेलु मंगलमा गंभीर रूप से बीमार पड़े थे। राजाजी उसके सभी काम छोड़कर उसकी पत्नी के पास पहुच गए। सख्त बीमार मंगलमा ने उसके सामने उसके पति को देखा और उसको सुकून आया। राजाजी उसकी पत्नी के पास बेठ गया और धीरे से उसकी पत्नी का सर उसके घुटनों में लिया। मंगलमा की आंखे भीग गयी।
राजाजी उसके पत्नी के सर पर हाथ मुड़ते मुड़ते बाते कर रहे थे, और पत्नी के दिल में सुकून मिलने लगा, लगभग 15-20 मिनट इस तरह पत्नी का सर गोदमे रखने से राजाजी को पैर में दर्द होने लगा, उसने उसकी पत्नी का सर गोद से उठाने का प्रयास किया लेकिन पत्नी ने किसी भी योगदान नहीं दिया इसलिए राजाजी समाज गए की उसको गोद में ही सर रखना है।
थोड़ी देर बाद राजाजी ने प्रयास करके पत्नी का सर उसके गोद से उठा कर तकिये पर रख दिया। पत्नी ने राजाजी के सामने देख कर सिर्फ इतना ही कहा “में तुम्हारे लिए कितना बड़ा बोज हु और मेरी और से तुमको कितनी तकलीफ पहुचती है”। राजाजी कुछ नहीं बोले और वैसे ही बेठे रहे, मंगलमा आधे घंटे में दुनिया छोड़ कर चले गए लेकिन राजाजी को ये बात का अफ़सोस रहा की जो थोड़ी देर और में बेठा होता तो मेरी पत्नी संतोष के साथ मेरी गोद में सिर रखते हुए अपने जीवन का त्याग करती।
दोस्तों, जीवन में कुछ गलती ऐसी होती है जो बहुत छोटी होती है पर पुरे जीवन याद रहती है। हमारे अपने को अपनी बहुत जरुरत होती है जब इसे से दूर होने की राजाजी जैसी गलती हमसे भी ना हो जाये इसलिए जागृत रहना।
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