Wednesday, 4 November 2015

अपने माता पिता का सम्मान करने के अलग अलग तरीके

love your parents hindi story, how to love your parentsभारतीय संस्कृति में माता-पिता को देवता कहा गया है: मातृदेवो भव। पितृदेवो भव। भगवान गणेश माता-पिता की परिक्रमा करके ही प्रथम पूज्य हो गये। श्रवण कुमार ने माता-पिता की सेवा में अपने कष्टों की जरा भी परवाह न की और अंत में सेवा करते हुए प्राण त्याग दिये।

देवव्रत भीष्म ने पिता की खुशी के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया और विश्वप्रसिद्ध हो गये। मैंने माता-पिता- गुरु की सेवा की तो मुझे कितना सारा लाभ हुआ है, मैं यहाँ वर्णन नहीं कर सकता। माता-पिता ने तुम्हारे पालन-पोषण में कितने कष्ट सहे हैं! भूलकर भी कभी अपने माता-पिता का तिरस्कार नहीं करना। वे तुम्हारे लिए आदरणीय हैं। उनका मान-सम्मान करना तुम्हारा कर्तव्य है। शास्त्रों में माता-पिता को उपाध्याय और आचार्य से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। भगवान् मनु कहते हैं- पिता प्रजापतिका स्वरूप है तथा माता पृथ्वी की प्रतिमूर्ति है। तो चलो अब में आपको माता पिता का सम्मान कैसे करे उसके बारे में बताता हु। माता पिता का सम्मान 34 तरीके से किया जाता है।

माता पिता का सम्मान कैसे करे How To Respect Your Parents 

1- उन्हें सम्मान के साथ देखें।

2- हमेशा उनकी प्रशंसा करें।

3- उनके साथ बुरा समाचार साझा करने से बचें।

4- उनके दोस्तों और प्रियजनों से अच्छी तरह से बोलें।

5- उन्हें घूरें नहीं।

6- उन्हें तब भी गौरवान्वित प्रतीत करायें जब कि वे अपने को इसके लायक न समझें।

7- उनकी सलाह और निर्देश स्वीकारें।

8- उनका नेतृत्व स्वीकार करें।

9- उनके साथ ऊँची आवाज़ में बात न करें।

10- उनके आगे अथवा सामने से न चलें।

12- नियमित रूप से उनके पास जायें।

13- उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में शामिल करें।

14- अपने किसी भी विषय की अपेक्षा उन्हें प्राथमिकता दें।

15- उनकी उपस्थिति में अपने फोन को दूर रखो।

16- वे क्या कह रहे हैं इस पर ध्यान दो।

17- उनकी राय स्वीकारें।

18- उनकी उपस्थिति में कानाफ़ूसी न करें।

19- उनकी उम्र का सम्मान करें।

20- उनकी बात काटने से बचें।

21-  न तो उनकी बुराई करें और न ही किसी अन्य द्वारा की गई उनकी बुराई का वर्णन करें।

22- उन्हें उसी सम्बोधन से सम्मानित करें जो वे पसन्द करते हैं।

23- उनकी गलतियों अथवा अनभिज्ञता पर हँसने से बचें।

24- वे यदि एक ही कहानी दोहरायें तो भी ऐसे सुनें जैसे पहली बार सुन रहे हो।

25- उनकी बातचीत में सम्मिलित हों।

26- कहने से पहले उनके काम करें।

27- उनके साथ वार्तालाप में अपने शब्दों को ध्यान से चुनें।

28- उनसे पहले खाने से बचें।

29- उनके द्वारा किये गए अच्छे काम सदैव याद रखें।

30- अतीत की दर्दनाक यादों को मत दोहरायें।

31- उनके आसपास उनके पोते/पोतियों को अनुशासित करने अथवा मारने से बचें।

32- उनको अच्छा समाचार जरूर बताएँ।

33- उनके सामने अपने पैर करके या उनकी ओर अपनी पीठ कर के बैठने से बचें।

34- उनकी उपस्थिति में ऊबने या अपनी थकान का प्रदर्शन न करें।

माता-पिता व गुरुजनों की सेवा करने वाला और उनका आदर करनेवाला स्वयं चिरआदरणीय बन जाता है। जो बच्चे अपने माता-पिता का आदर-सम्मान नहीं करते, वे जीवन में अपने लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर सकते।

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