Thursday, 5 November 2015

एक अतिरिक्त बेडरूम हिंदी कहानी

The Indian Family Story in Hindi

new hindi kahani, hindi stories,आज, मेरे माता-पिता एक सपना सच हो गया था। क्युकी मैंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है, और आज मुझे अमेरिका में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कंपनी में नौकरी मिल गयी है। अमेरिका सपनों और अवसरों की भूमि है। और जब मैंने जमीन पर पैर रखा तब मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे सारे सपने पूरा होने जा रहे हैं । और यहाँ मैं एक एक जगह में हु जहां में हमेशा रहने का सोचता था। क्योंकि मैंने एसा सोचा था कि मैं यहाँ  पांच साल रहूँगा और इतना पैसा कमाकर में भारत में अच्छी तरह से अपना जीवन बिताउंगा। 

मेरे पिता एक सरकारी कर्मचारी था और रिटायर होने के बाद संपत्ति में इसके पास एक बेडरूम हॉल किचन का फ्लैट था। और मैं इसके बारे में बहुत कुछ सोचता था। जैसे समय बीत रहा था तब मुझे घर की याद बहुत आ रही थी और मुझे अलग महसूस हो रहा था, मैं हर हफ्ते घर पे फोन करता और इस के लिए मैं एक सस्ती इन्टरनेट कार्ड रखता था। मैकडॉनल्ड्स , बर्गर , पिज्जा, डिस्को , ये सब को देखकर do साल बीत गये थे। जब रूपये की किमत कम होती तब में बहुत खुश होता, कुछ ही समय बाद , मैंने शादी करने का सोचा। और मेरे माँता - पिता पिता को कहा की मुझे 10 दिनों की छुट्टी मिली है। और ये 10 दिनों में सब कुछ हो जाना चाहिए। सबसे सस्ता टिकट बुक करवा  के भारत में आया। 

कई समय बाद घर पर आने से बहुत खुश था,  दोस्तों के साथ मिलकर खुश होता था सभी के लिए गिफ्ट लाया था और जिनसे मिल नहीं  पाया उनसे फ़ोन पे बात करली थी, और छुट्टियों के 10 दिनों होने से अपने मन से मज़ा ले रहा था। एक सप्ताह तो सिर्फ शादी की सभी लड़कियों को देखने में ही पूरा कर दिया और समय की कमी के कारण एक को चुन लिया। मेरे आश्चर्य  के बिच मेरी सास और ससरे ने कहा की मेरे पास समय नहीं है इस लिए दो दिन में ही शादी पूरी करनी पड़ेगी, और शादी के बाद ,अमेरिका में लौटने के लिए समय हो गया था, तो मेरे माता-पिता को कुछ रुपये देकर और मेरे पड़ोसियों को उनकी देखरेख रखने की बात कहकर हम अमेरिका जाने के लिए निकल गए, मेरी पत्नी को ये देश बहुत पसंद आया लेकिन दो महीने बाद वो अकेलेपन का अनुभव करने लगी, ओ घर पे फ़ोन एक से बढ़कर सप्ताह में तिन बार कर ने लगी। ओर बहार घूमना फिरना भी बढ़ गया और इस प्रकार हमारी बचत काफी कम होने लगी।

तीन साल बाद।।।।

भगवान ने उसको एक बेटा और एक बेटी संतान के रूप में दीया था। जब भी में अपने माता पिता से फोन पे बात करता तब वे कहते की तुम जल्दी से भारत में लोटना ताकि हम अपने बच्चे को देख सके, और उसके साथ खेल सके। मैं हर साल भारत जाने के बारे में सोचता था लेकिन में तिन जगह पे पार्ट टाइम जॉब करता और उसके साथ सौदा करने से में भारत नहीं आ सकता। इस प्रकार कई साल बीत गए और भारत में वापसजाने का तो बस एक सपना ही रह गया। और एक दिन अचानक खबर मिली की मेरे माता-पिता बहुत बीमार हैं। 

मैंने  कई प्रयास किए लेकिन भारत में जाने के लिए छुट्टी नहीं मिली। और फिर खबर ये मिली की वो स्वर्ग में चले गए है। और वहाँ उसकी अंतिम कार्रवाई के लिए कोई नही था इस लिए सोसाइटी के सभी लोगो ने ही उनकी अंतिम क्रिया करदी। मैं बहुत निराश हो गया था की मेरे माता-पिता अपने पोते को देखने के बिना चले गए हैं। कुछ और साल की के बाद , मेरे बच्चों की इच्छा के खिलाफ और अपनी पत्नी के साथ फिर भारत में जाने के लिए निकल गए, और मैंने  अच्छा संपत्ति देखने के लिए शुरू कर दिया। लेकिन मेरी सीमित बचत और इन वर्षों के दौरान भारत में संपत्ति की कीमतों ज्यादा होने से मैंने सम्पति लेना रहने दिया, क्योंकि संपत्ति तो खरीद सकता था लेकिन सभी रूपये उसमे चले जाने वाले थे। और हम अमेरिका वापस लौटने का सोच रहे थे । 

मेरी पत्नी ने अमेरिका में जाने के लिया मना कर दिया और मेरे बच्चों को भारत में रहने के लिए मना कर दिया। इसलिए मैं और मेरे बच्चों , हम तीन अमेरिका के लिए लौट आए और मैंने मेरी पत्नी को  वादा किया की मैं दो साल में वापस लौट जाऊंगा, और सब कुछ ठीक हो जाएगा। समय बीतने लगा और मेरी बेटी ने एक अमेरिकन के साथ शादी करने के लिए सोचा और मेरा बेटा अमेरिका के और वहा के जीवन में बहुत खुश था मैंने सोचा की अब बहुत हुआ और मैं सब कुछ में घाव मैं वापस भारत आया। मेरे पास इतनी बचत तो थी की मेंने 1BHK फ्लैट अच्छे लोकेसन पे खरीद लिया। 

अब मैं 60 साल का हूँ। और फ्लैट से सिर्फ एक बार ही बहार निकलता हु और यह भी कि आस-पास के मंदिर के दर्शन लिए । और मेरी पत्नी भी मुझे छोड़कर ऊपर चली गयी है। मैं अक्सर लगता है कि , मैंने जो किया वो सही था? जो मेरे पिता, भारत में रह कर भी अपने नाम में एक फ्लैट था, और मेरे पास भी एक ही है। और कुछ नहीं, मैं अपने माता पिता को खो दिया, मेरे बच्चे भी अब मेरे नही रहे केवल एक अतिरिक्त बेडरूम के लिए आज मैं खिड़की से बाहर देखता हु, में देखता हु की वहा कई बच्चे डांस करते है। मेरा मानना है की आज की TV ने सभी को बिगाड़ दिया है और सब में से संस्कार चले जा रहे है। कभी कभी मेरे बच्चे मुझे फ़ोन करते है और मेरी खबर पूछते है तब में खुश होता हु की वो मुझे याद करते है। मुझे भरोसा है की मेरी मृत्यु के बाद फिर अंतिम क्रिया करने में इस सोसाइटी के सभी लोग ही होगे भगवान उन्हें खुश रखे, लेकिन सवाल यह है कि क्या मैंने किया था वो उचित था ? मैं अभी भी उनका जवाब पता लगा रहा हु।

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