The Value Of Love Hindi Stories
एक बार हमारे अंदर जितनी भी भावनाएँ और विचार होती हैँ, सबनेँ आपस मेँ मिलकर पिकनिक जानेँ का प्लान बनाया। अब सभी छुट्टी लेकर अपनेँ-अपनेँ बोट से Island पिकनिक मनानेँ निकल पड़े। सभी वहाँ बहुत आनंद कर रहे थे और बहुत खुश थे कि अचानक बहुत भयंकर तुफान आनेँ की आशंका हुई। सभी अनुभूति भाग-दौड़ करनेँ लगे, उन्हेँ Island खाली करनेँ को कहा गया। चारोँ तरफ अफरा-तफरी मच गयी। सभी काफी सहमेँ और डरे हुए थे साथ ही जान बचाने के लिये अपनी बोटs की तरफ भाग रहे थे। पर प्यार वहाँ से नहीँ जाना चाहता थी, वो अभी भी वहाँ रूकना चाहती थी। पर जैसे-जैसे तुफान बढ़ता गया प्यार को लगा कि यहाँ से निकलना ही ठीक रहेगा।
लेकिन काफी देर हो चुकी थी, उसकी बोट तुफान मेँ बह गई थी, वहाँ एक भी बोट नहीँ थी। प्यार मदद के लिये चिल्लानेँ लगी, इधर-उधर भागनेँ लगी। तभी गुस्सा उसके सामनेँ से गुजरी। प्यार नेँ उसे पुकारा, गुस्सा क्या तुम मुझे अपनी बोट पर ले सकती हो। नहीँ-नहीँ, गुस्सा नेँ अपनी क्रोध दिखाते हुए कहा- मैँ और तुम्हेँ अपनेँ साथ लुँगी, अच्छा हुआ आज तुमसे पीछा छुटेगा, तुम जब रहती हो तो किसी को भी गुस्सा आनेँ नहीँ देती। प्यार तुम्हारे कारण ही लोग गुस्से को भुलते जा रहे हैँ, तुम यहीँ ठीक हो, मैँ तो चला। थोड़ी देर बाद नफरत वहाँ से गुजरा। प्यार नेँ आवाज लगाई नफरत भैया Please मुझे यहाँ से अपनेँ साथ ले जाओ।
नफरत हँसते हुए- हाहाहा! तुम मेरी बहन हो लेकिन हमेशा तुमनेँ मेरा अस्तित्व मिटानेँ की कोशिश की है, मैनेँ जाति-भेदभाव और धर्म की कितनी बड़ी मिशाल बनाई थी पर प्यार तुमनेँ सब खतम कर दिया। मैँ तुमसे नफरत करता हुँ तुम यहीँ ठीक हो। फिर वहाँ से दु:ख गुजरा, प्यार नेँ आवाज लगाई, पर फिर से उसे न ही सुनना पड़ा, हरगिज नहीँ, मुझे अकेला रहना पसंद है, मैँ बहुत दुखी हूँ, तुम्हेँ अपने साथ नहीँ ले जा सकता, तुम्हारे पैर से मेरा बोट गंदा हो जायेगा। फिर वहाँ से समृद्धि गुजरी, प्यार के आवाज लगानेँ से पहले ही समृद्धि नेँ कहा- Sorry प्यार मेरे बोट पर इतनी धन-संपदा है कि तुम्हारे लिये तो जगह ही नहीँ है।
अब प्यार उदास और निराश हो गई थी। उसनेँ अंत मेँ वहाँ से गुजर रही खुशी को आवाज लगाया। खुशी तो बस अपनेँ आप मेँ मग्न थी, उसनेँ प्यार की आवाज को अनसुना कर दिया। अब बेचारी प्यार उदास होकर एक कोने मेँ बैठ गई। तभी प्यार को आवाज आई- आओ प्यार मैँ तुम्हेँ अपनेँ साथ ले चलता हूँ। प्यार थक चुकी थी और वो उसे देख ही नहीँ पाई, कि कौन है जो उसकी मदद कर रहा है। वो बोट मेँ चढ़ गई और एक सुरक्षित जगह पहुँचकर उसकी जान मेँ जान आई। जब प्यार बोट से उतरी तो उसे ज्ञान मिला।
उसनेँ ज्ञान से पुछा, ज्ञान तुम्हेँ मालुम है कि किसनेँ मेरी मदद की और मुझे अपनीँ बोट पर बैठाया जबकि कोई भी मेरी मदद को तैयार न था? ज्ञान नेँ मुस्कुराते हुए कहा,- अरे! वो समय था। पर समय मेरी मदद क्योँ करेँगे? प्यार सोँचते हुये बाला। ज्ञान ने प्यार से मुस्कुराते हुए कहा, प्यार सही मायने मेँ समय ही तुम्हारी महानता जानता है। समय के साथ ही प्यार की महत्ता पताचलती है।
मित्रो, प्यार की मिठास समय के साथ ही निखरती है, रिश्ते प्यार के दायरे मेँ ही बंधकर समय के साथ अच्छे बनते हैँ। चाहे वो प्यार किसी पति पत्नि, या किसी भी सबंध मेँ होँ।
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