Tooth Treatment in Hindi
जब दांतों की ऊपरी सतह अर्थात एनामल एवं डेंटीन में सड़न हो तो उसे फीलिंग करके ठीक कर दिया जाता है। आजकल कांपोजिट मटीरियल फीलिंग की जाती है। यह फीलिंग दांत के रंग की होती है एवं इसमें ड्रीलिंग भी कम करनी पड़ती है। जब सड़न दांत की जड़ तक पहुंच जाती है, तो मरीज को बेहद दर्द होता है। ऐसे दांतों को रूट केनाल ट्रीटमेंट के द्वारा ठीक कर दिया जाता है। जबकि पहले दांतों को निकाल दिया जाता था। आजकल यह ट्रीटमेंट मशीन द्वारा एक ही सिटिंग में कर दिया जाता है। आज हम मुख के स्वास्थ्य से जुडी हुई एक common problem के बारे में जानेंगे और सीखेंगे कि कैसे थोड़ी सी सावधानी और जागरूकता से हम दांतों की सड़न और तकलीफ से बच सकते हैं।
* दातों की सड़न (Tooth Decay in Hindi)
हमारे दांत कैल्शियम ,फॉस्फोरस और अन्य खनिज से मिलजुलकर बने होते है।हलाकि इंसानी शारीर का सबसे कठोर भाग उसके दांत ही होते है परन्तु लापरवाही और भान ना होने की वजह से येह भी सड़न का शिकार हो जाते हैं।
दांतों की सड़न की वजह से tooth pain होता है और खाना खाने में तकलीफ होती है, सामने के दांत सड़ जाएँ तो मुख की सुन्दरता में दाग लग जाता है और आत्मविश्वाश में कमी आती है। दांतों की सड़न पैदा करने वाले कीटाणु सांसों की दुर्गंध भी पैदा करते हैं। अगर आपके मुंह से दुर्गंध आ रही है तो यह दांतों या मसूडों की समस्याओं का संकेत हो सकता है।
* दांतों की सड़न का कारण (Causes of Tooth Decay in Hindi)
दांतों की सड़न एक बहुत ही आम समस्या है परन्तु यह हमरे मुंह के अन्दर होती है और किसी को दिखती नहीं इसलिए हम इसे नजर अंदाज करते जाते है। दांतों में सड़न तभी होती है जबकि इनेमल पूरी तरह से प्रभावित हो चुका होता है। दांतों में किसी भी प्रकार के सड़न के लक्षण दिखते ही आपको दंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए।
* दांतों की सड़न के मुख्य कारण (Causes of Tooth Decay in Hindi)
खान पान-
वह खाद्य प्रदार्थ जिनमे कार्बोहायड्रेट और शक्कर की मात्रा अधिक हो उससे दांतों की सड़न होने का खतरा ज्यादा रहता है, अगर खाद्य प्रदार्थ चिपचिपा हो जैसे की टॉफ़ी, मिठाई, पोटैटो चिप्स तो फिर सड़न का खतरा और भी ज्यादा रहता है।
मुख में मौजूद बैक्टीरिया-
कोई कितनी भी सफाई करे हर किसी के मुह में बैक्टीरिया होते हैं। परन्तु हम अपने मुख की सफाई कितनी अच्छी तरह से करते है यह तय करता है की बैक्टीरिया की तादात बढेगी या कम होगी। और अगर तादात बढेग तो क्या उनके लिए सड़न पैदा करने वाले कारक मौजूद है।
जैसे ही आप खाना बंद करते है बैक्टीरिया अपना काम शुरू कर देता है, वो दांतों पर एक तरह की सफ़ेद परत बनाता है जिसे हम प्लाक कहते हैं। यही प्लाक बैक्टीरिया का घर होता है और नियमित दो समय ब्रशिंग करके इसे बनने से रोका जा सकता है। मुख में मौजूद बैक्टीरिया को एसिड बनाने के लिए कार्बोहायड्रेट और शक्कर की जरुरत होती है, जिससे दांतों में सड़न होती है। बैक्टीरिया द्वारा निकाला गया एसिड अगर आपके दांतों के अंदरूनी भाग को प्रभावित कर चुका है तो आपको दांतों में दर्द का अनुभव होगा। इससे दांतों की जड़ें और नसें प्रभावित होती हैं जिससे दांत दर्द होता है।
दांतों की सफाई और उनकी बनावट-
दांतों की ठीक तरह से सफाई ना करना सड़न को न्योता देने जैसा है। रोजाना दांतों को दो वक्त साफ़ करना जरुरी है। इस तरह से से आप मुंह मे मौजूद बैक्टीरिया की बढ़त को कम कर सकते है और साथ ही फंसे हुए खाद्य प्रदार्थ को भी साफ़ कर सकते हैं। दांतों को साफ़ रखने के लिए आपको सहीं तरीके से ब्रश करना, फ्लॉस करना और माउथवाश का प्रयोग करना चाहिए।
* दांतों के सड़न के लक्षण (Symptoms of Tooth Decay in Hindi)
दांतों की सड़न का पहला लक्षण है दांत की उपरी सतह पर भूरा दाग जैसा लगना। फिर यह दाग थोडा बड़ा होता है एक छेद का रूप लेता है और उस जगह पर खाना फसना शुरू हो जाता है। खाना फसने से सड़न की प्रकिर्या तेज हो जाती है और दांत का छेद बड़ा हो जाता है। जब येह छेद थोडा गहरा हो जाता है और अंदरूनी सतह में पहुच जाता है तब हमे ठंडे या मीठे से कनकनाहट होने लगती है। जब सड़न इससे भी ज्यादा अन्दर चला जाता है तब वह पल्प (दांतों की नस) तक पहुँच जाता है और इसे संक्रमित कर देता है, और तब हमें दांतों में जोरदार दर्द होता है।
कैविटी बनना
शीशे के सामने अपने दांतों को देखें। कैविटी का अर्थ है दांतों में छेद का दिखना। यह सामने के दांतों के किनारों पर और पीछे के दांतों के केंद्र में दिख सकता है। समय-समय पर दांतों की यह जांच आप घर पर ही कर सकते हैं।
दांतों का रंग बदलना
दांतों में किसी भी प्रकार के रंग बदलने पर ध्यान दें। अगर दांतों के रंग से ज़्यादा सफेद धब्बा सा दिख रहा है तो यह प्लेक का संकेत हो सकता है। अगर आपको दांतों में पीलापन या भूरा रंग दिख रहा है तो इसका अर्थ है दांतों का इनेमल प्रभवित हो चुका है और आपको जल्दी ही डेंटिस्ट से मिलना चाहिए।
काले दांत
कैविटीज़ काले रंग की दिखती हैं, लेकिन कैविटीज़ के दिखने का अर्थ यह नहीं कि आपके दांत पूरी तरह से खराब हैं। दांतों के कुछ भाग का टूटना, दांतों का काला पड़ना दांतों की समस्याओं का ही संकेत है। दांतों का काला रंग होने का अर्थ है कि दातों की जड़ प्रभावित हो रही है। ऐसे दांत कभी भी गिर सकते हैं।
सांसों की दुर्गंध
दांतों की सड़न पैदा करने वाले कीटाणु सांसों की दुर्गंध भी पैदा करते हैं। अगर आपके मुंह से दुर्गंध आ रही है तो यह दांतों या मसूडों की समस्याओं का संकेत हो सकता है।
* दांतों की सड़न से बचाव (Prevention of Tooth Decay in Hindi)
सुबह थोडा जल्दी उठें और अपने नित्य कर्म के लिए समय निकालें, आईने के सामने खड़े हो कर ब्रश करें ताकि आप देख सके दांतों की सफाई सही से हो रही है या नहीं। रोजाना 2 बार दांतों को साफ़ करें, एक बार सुबह और एक बार रात्रि को। ब्रश ज्यादा जोर से ना रगडे और 2 मिनट से ज्यादा ना करें। ब्रश करने का सहीं तरीका सीखे। माउथवाश का प्रयोग करें। रात को सोने से पहले एक बार दांतों के बीच में फ्लॉस से सफाई करें। मीठा और चिपचिपा प्रदार्थ कम खाएं। केक, पेस्ट्री, टाफी, चिप्स कम खाएं और अपने भोजन में साबुत अनाज का भी प्रयोग करें। सोडा युक्त कोल्ड ड्रिंक्स से परहेज करें। बीडी, सिगरेट और तंबाकू का नशा छोड़ें।
फ्रलोराइड युक्त टूथपेस्ट से दिन में दो बार ब्रश करें। ध्यान रखें कि टूथब्रश का ब्रश मुलायम हो। हर 3 से 4 महीने पर ब्रश बदलें और हर 6 महीने पर डेंटिस्ट से संपर्क करें। चॉकलेट व जंकफूड से दूर रहें। टूथब्रश दांतों के बीच में मौजूद छोटी-छोटी जगहों पर नहीं पहुंच सकता इसलिए फ्रलासिंग का सहारा लें। फ्रलास को दांतों के बीच में फंसाए और फ्रलास दांतों के ऊपर से नीचे की ओर ले जाएं। ताज़ा फ्रलास का इस्तेमाल करें अगर आपको फ्रलास का इस्तेमाल करने में परेशानी हो रही है तो वैक्स्ड फ्रलास का इस्तेमाल करें। फ्रलास को बदलना मुश्किल होता है इसलिए फ्रलास होल्डर का इस्तेमाल करें। संतुलित आहार भी हमारे दांतों के लिए बहुत ही जरूरी है इसलिए संतुलित आहार लें। हमारे दांतों में या मसूड़ों में किसी भी प्रकार की परेशानी से हमारा पूरा स्वास्थ्य और हमारी पूरी पर्सनालिटी प्रभावित हो सकती है, इसलिए जरूरी है ब्रश करना।
* दांतों की सड़न का इलाज (Tooth Decay Treatment in Hindi)
अगर आपके दांतों में सड़न हो ही गयी है तो सबसे पहले आप अपने दन्त चिकित्सक से मिलें, उन्हे अपनी समस्या विस्तार से बताएं। अगर सड़न छोटी है और दांतों की उपरी सतह पर है तो आपके दन्त चिकित्सक उसे साफ़ करके उस छेद में फिलिंग करेंगे। यह फिलिंग दांत के रंग की भी हो सकती है और मेटालिक की भी हो सकती है, येह आपका चुनाव पर निर्भर रहेगा। अगर सड़न के कारण दांत का बड़ा हिस्सा ख़राब हो गया है और tooth pain की शिकायत है तो dentist पहले दांतों का x-ray लेगा फिर आपको इलाज़ के बारे में बताएगा। ज्यादातर बहुत ज्यादा सड़े हुए दांतों को root canal therapy ( दांतों के नस का इलाज) द्वारा बचाया जाता है फिर उसपर एक कैप लगा दी जाती है। बहुत ही ज्यादा ख़राब और पूरी तरह सड़ चुके दांतों को निकल कर उस जगह पर कृत्रिम फिक्स दांत भी लगाया जा सकता है। दिन में कम से कम दो बार ब्रुष और पेस्ट से अपने दांतों की और जीभ की सफाई करें। कुछ भी खाने के बाद पानी से कुल्ला करें। संतुलित आहार लें।मीठे और चिपकने वाले पदार्थों का सेवन कम करें। पान, सुपारी तथा धूम्रपान से बचें।
दांतों की सुरक्षा कीजिये आपके दांत जीवन की अंतिम घड़ी तक के लिए बने हैं केवल आप ही अपने दांतों की सुरक्षा कर सकते हैं।इसलिए अच्छा होगा कि हम अपने दांतों की सही देखभाल करना शुरू कर दें ताकि इलाज की ज़रूरत है ना पड़े।
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