Types of Yoga and Their Benefits Hindi Yoga Tips
भारत और योग का संबंध दो हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। लेकिन हाल के कुछ दशकों में इसकी लोकप्रियता तथा स्वीकार्यता तेजी से बढ़ी है। इन दिनों सूर्य नमस्कार और कपालभारती जैसे आसनों की लोकप्रियता इतनी ज्यादा हो चुकी है कि इस बारे में किसी को ज्यादा बताने की आवश्यकता नहीं है। अगर आपको जानना है की योगासन कैसे करे तो आप सही आर्टिकल पढ़ रहे हो। वैसे तो बहोत से योगा के प्रकार है हम उनमे से कुछ सीखेंगे। उन योगाओं मे विभिन्नता (differences) देखने से पहले हम एक बात ध्यान रखनी है की उन्हे करने के पीछे एक ही लक्ष्या (goal) है, मन की शांति और तंदुरस्त शरीर। योगा बहोत से तरीकों मे मोड़ता है।
- भक्ति योगा – भक्ति का रास्ता (Path of Devotion)
- कर्मा योगा – स्वयणपुर्तता का रास्ता
- Jnana योगा – श्रेष्ठता का रास्ता (Path of Transcendental Knowledge)
- अस्थंगा योगा – पतंजलि का रास्ता (8 स्टेप का रास्ता)
योग मुद्रा, ध्यान और योग में श्वसन की विशेष क्रियाओं द्वारा तनाव से राहत मिलती है, यह प्रमाणित तथ्य है। योग मन को विभिन्न विषयों से हटाकर स्थिरता प्रदान करता है और कार्य विशेष में मन को स्थिर करने में सहायक होता है। हम मनुष्य किसी चीज़ की ओर तभी आकर्षित होते हैं जब उनसे हमें लाभ मिलता है। जिस तरह से योग के प्रति हमलोग आकर्षित हो रहे हैं वह इस बात का संकेत हैं कि योग के कई फायदे हैं। योग को न केवल हमारे शरीर को बल्कि मन और आत्मिक बल को सुदृढ़ और संतुष्टि प्रदान करता है। दैनिक जीवन में भी योग के कई फायदे हैं, आइये! इनसे परिचय करें।
हमारे लिए सरल और सीधे नीचे दिए अनुसार योगा करने हे। एकदम से मुश्किल योगा से शुरुआत ना करे, पहले आसान योगा करे। योगासन का उपयोग हम अपना वजन घटाने के लिए कर सकते है।
1- वज्रासन
वज्र का मतलब होता हैं कठोर अथवा मजबूत । इस आसन को करने से हमारे पैर, ख़ास कर जांघ (Thigh) का हिस्सा मजबूत और शरीर स्थिर होने के कारण इस आसन को " वज्रासन " कहा जाता हैं। इस आसान को दिन में कभी भी कर सकते हैं। यह अकेला आसन है जो खाने के तुरंत बाद कर सकते हैं। ये योगा भी देर तक कर सकते हे और इसमे ज़्यादा ज़ोर भी लगाना नही पड़ता। आप इसे बिना हीले कई देर तक कर सकते हे।
प्रक्रिया:
भोजन करने के 5 मिनिट बाद एक समान, सपाट और स्वच्छ जगह पर कम्बल या अन्य कोई आसन बिछाए। कंबल को पूरी तरह से बिछाए। उसपर अपने साधारण तरीके से बैठिए। चित्र मे दिखाए गये अनुसार पैरों को घुटने से मॉड्कर एडिया पीछे की और ले जाए। कमर को सीधी रखे। दोनो हाथों को घुटनों पे रखे और साथ ही ध्यान रखे हाथ और कमर दोनो एकदम सरल हो। कुछ देर ऐसे ही बैठे रहिए जब तक आप बैठ सके। उसके बाद धीरे धीरे अपनी साधारण अवस्था मे बैठ जाइए।
लाभ:
इस योगा को करने से पाचन प्रक्रिया सुधरती हे। नाडी की सुरुआती भाग बलशाली होता हे, जिससे रक्तप्रवाह भी सुधरता हे। इसी अवस्था मे बैठे रहने से शरीर के अंतरी अवयव (Organs) दबे नही रहते उन्हे साधारण अवस्था मे लाया जा सकता हे। पेट के अलग अलग रोगों से भी छुटकारा देने का काम ये योगा करता हे। घुटनों के दर्द से बचने के लिए भी ये योगा बहोत प्रभावशाली हे। अगर आपको बहोत ही घुटनों का दर्द हे तो इसे धीरे धीरे से करे। शरीर को सुडौल बनाए रखता हैं। वजन कम करने में मददगार हैं। महिलाओ में मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती हैं। रीढ़ की हड्डी मजबूत होती हैं। मन की चंचलता को दूर कर एकाग्रता बढ़ाता हैं।
2- बद्ध पद्मासन
ये पद्मासन करने का एक उप प्रकार हे। ऐसा कहा जाता है की ये पद्मासन के आसनो मे सुबसे उत्तम हे।
प्रक्रिया:
अपनी कंबल बिछाए। उसपर अपने साधारण तरीके से बैठिए। चित्रा मे दिखाए गये अनुसार पैरों को एक के उपर एक रखिए। कमर को सीधी रखे। अपना बाया हाथ दायने पैर की एडी पर रखे। दायने हाथ बाई पैर की एडी पर रखे। कुछ देर ऐसे ही बैठे रहिए जब तक आप बैठ सके। उसके बाद धीरे धीरे अपनी साधारण अवस्था मे बैठ जाइए।
लाभ:
ये योगा करने से आप अपने पेट को बढ़ने से रोक सकते हे जिसकी वजह से पीछे जुक्ना भी बंद हो जाएगा। क्यों की अगर पेट आयेज आने लगे तो आप अपने आप पीछे की और झुकने लगते हे। तो अगर आपको सरल शरीर चाहिए तो ये योगा आपके लिए फ़ायदेमंद हे।
3- मत्स्यासन
मत्स्यासन योग करते समय शरीर का आकार मछली की तरह होने के कारण इसे 'मत्स्यासन' और अंग्रेजी में 'Fish Pose' कहा जाता हैं। कमर ओर गले से संबंधित समस्या से परेशान लोगो के लिए यह एक श्रेष्ठ आसन हैं। मत्स्यासन अकेला ऐसा आसन है, जिसे विधिवत करके अनेक बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। अगर इस आसन का अभ्यास सर्वांगासन के बाद किया जाए तो दोनों आसनों का लाभ दोगुना हो जाता है।
अगर आपकी पिछली हड्डी आगे की और जूक तब उसे पीछे की और लाने के लिए ये आसान करे। इस लिए ये आसान “सर्वंगासना” करने के बाद ही करते हे। जैसे की इसका नाम हे “मत्स्यासन”, हमे इसमे मछली (फिश) की तरह करना हे।
प्रक्रिया:
सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाए। पद्मासन कैसे करते हैं यह जानने के के लिए यह पढ़े -पद्मासन विधि अब पीछे की ओर झुककर लेट जाइए। दोनों हाथो को आपस में बांधकर सिर के पीछे रखे अथवा पीठ के हिस्से को ऊपर उठाकर गर्दन मोड़ते हुए सिर के उपरी हिस्से को जमीन पर टिकाए। दोनों पैर के अंगूठे को हाथों से पकडे। कोंहनिया जमीन से सटी हुई रखे। एक से पांच मिनिट तक अभ्यास करे। जिन व्यक्तिओ को बारबार टोंसिल का दोष हो अथवा गले में खट्टापन रहता हो वो अंतिम स्तिथि में शितकारी प्राणायाम कर सकते हैं। इस आसन को सर्वांगासन करने के बाद करने पर ज्यादा लाभ होता हैं। कोंहनियो की सहायता लेते हुए वापस बैठ जाए। यह आसन करते समय श्वसन की गति नियमित रखे। ऐसा करते वक़्त ध्यान रखे की आपकी पिछली हड्डी को मोच ना आए। और अगर आपसे ये धीरे धीरे से ना हो तो किसी की सहयता ले। शुरुआत मे सहायता ले ही ले क्यों की जरा सी ग़लती आपका दर्द बढ़ा दे। जब आपको आदत हो जाए तब खुद करना शुरू करे। कुछ देर ऐसे ही रहिए जब तक आप रह सके। उसके बाद धीरे धीरे अपनी साधारण अवस्था मे बैठ जाइए।
लाभ:
इस आसन को करने से सांस के सभी रोगों में लाभ होता है। यह आसन चेहरे के तंतुओं पर विशेष प्रभाव डालता है तथा पूरे मेरूदंड को प्रभावित करता है और उसकी गड़बड़ियों को दूर करता है। यह आसन गर्दन पर जमा चर्बी को कम करता है और गर्दन व कमरदर्द के लिए यह एक अच्छा आसन है। यह आसन पेट की मांसपेशियों को क्रियाशील बनाता है तथा छोटी आंत तथा मलद्वार भी सही रूप से काम करने लगता है। ये आसान करने से बहोत से रोगों से छुटकारा पाया जा सकता हे। इससे भी पाचन शक्ति बढ़ने के साथ साथ छाती के दर्द दूर किए जा सकते हे। दमा(अस्थमा) दूर करने मे ये सहायकारी हे। जैसा के आप देख रहे हो इसे करते वक़्त आपके गले का भाग बढ़ता हे उसकी वजह से आप ज़्यादा से ज़्यादा ताजी(फ्रेश) हवा अपने अंदर ले सकते हो। इस योगा को करने से आपका पिछला भाग भी सरल रहता हे और आप मुड़े हुए और ढीले ढले नही दिखते।
4- भुजंगासना
इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाये हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसलिए इसको भुजंगासना कहा जाता है।ध्यान विशुद्धाख्या चक्र में। श्वास ऊपर उठाते वक्त पूरक और नीचे की ओर जाते समय रेचक। इस आसान मे हमे पिछली हड्डी के उपरी भाग को मोड़ना हे। ये ऐसा धीखा हे जैसे कोई साप फॅन लगा के बैठा हो।
प्रक्रिया:
कंबल को पूरी तरह से बिछाए। कंबल के उपर उल्टा सो जाइए जिससे की आपका मूह ज़मीन की और हो।
शरीर को ढीला रखिए। वैसी ही अवस्था मे अपने दोनो हाथों को कंधे से थोडा नीचे ज़मीन पर रखे। उसके बाद सिर और छाती को उपर की और उठाए। कुछ देर ऐसे ही रहिए जब तक आप रह सके। उसके बाद धीरे धीरे अपनी साधारण अवस्था मे आइए। आसन सिद्ध हो जाने के बाद आसन करते समयश्वास भरके कुम्भक करें। आसन छोड़ते समय मूल स्थिति में आने के बाद श्वास को खूबधीरे-धीरे छोड़ें। हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन करें।
लाभ:
ये योगा करने से सभी तरह के प्रजनन करने वाले अवयव के रोगों की देखभाल होता हे। आगे की तरफ के झुकाव को भी कम किया जा सकता हे। इस योगा को करने से कुण्डलिनी सकती भी बढ़ती हे। कभी कभी हम ऐसा भी खाना खा लेते हे जो हमसे पचता नही, तो इस योगा को करने से हम उस खाने को पेट से मलद्वार तक ले जा सकते हे। इस आसन से मेरूदण्ड लचीला बनता है। पीठ में स्थित इड़ा और पिंगला नाड़ियों परअच्छा प्रभाव पड़ता है। कुण्डलिनी शक्ति जागृत करने के लिय यह आसन सहायक है।अमाशय की माँसपेशियों का अच्छा विकास होता है। थकान के कारण पीठ में पीड़ा होती होतो सिर्फ एक बार ही यह आसन करने से पीड़ा दूर होती है। मेरूदण्ड की कोई हड्डीस्थानभ्रष्ट हो गई हो तो भुजंगासन करने से यथास्थान में वापस आ जाती है।
5- कुक्कुतासन
ये पद्मासन का ही एक उप प्रकार माना जाता है। जिसमे आपको उसी अवस्था के अगले चरण को करना होता है।
प्रक्रिया:
इसको करने के लिए आप पद्मासन की अवस्था में बैठ जायें इसके बाद आप इसी अवस्था में अपने पैरो के बीच से हाथ निकालें, जिसके लिए आप अपनी एडियों को पीछे की तरफ कर लें। अब अपने हाथो पर जोर लगाकर अपने शरीर को ऊपर हवा में करने की कोशिश करें। आपके हाथों की हथलियाँ जमीन पर हो। कुछ देर आप इस स्थिति में ही रहें। उसके बाद आप अपने शरीर को नीचे लायें और धीरे धीरे अपने पैरो को खोलें।
लाभ:
इसे करने से भी पेट के रोगो को दूर रखा जा सकता हे। पेट दर्द, शरीर का दर्द भी दूर होता हे।
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