New Motivational Story In Hindi
कहते हैं कि जो बीत गया उसे बदला नहीं जा सकता लेकिन जो बदल सकता है, उसके बारे में सोचना आवश्यक है | जो कमी हमारी व्यस्था और सोच में है, उसमे सुधार करना होगा तभी इस तरह की घटनाओं में कमी हो पायेगी | बच्चों को बचपन से ही ऐसे संस्कार दिए जाएँ जिस से कि वो स्त्री की इज्ज़त करना सीखे | तो चलो देखते है एक ऐसी ही कहानी.
एक आदमी को तितली का एक कोकून मिला।एक दिन उसमे से एक छोटा सा खोलना दिखाई दिया। वह बैठ गया और कई घन्टों तक देखता रहा कि कैसे तितली उस छोटे से छेद के माध्यम से अपने शरीर को बाहर लाने के लिए संघर्ष कर रही थी। उसके उपरान्त उस तितली ने किसी भी तरह का प्रयास करना बंद कर दिया। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह जितना प्रयास कर सकती थी कर चुकी है और अब और आगे नहीं जा सकती।
आदमी ने तितली की मदद करने का फैसला किया। उसने कैंची की सहायता से कोकून के बाकी हिस्से को काट दिया। जिसके बाद तितली आसानी से कोकून से बाहर निकल आई। परन्तु उसका शरीर सूजा हुआ था एवं पंख भी सूखे और निर्जीव लग रहे थे। आदमी तितली को देखता रहा क्योंकि उसे उम्मीद थी कि किसी भी क्षण उसके पंखों का विस्तार हो जाएगा और शरीर अनुबंधित हो कर तितली को उड़ने के लिए सक्षम करेगा।वास्तव में ऐसा न हुआ! तितली को अपना बाकी का जीवन एक सूजे शरीर और सूखे पंखों के साथ चारों ओर रेंग कर व्यतीत करना पड़ा। यह उड़ान भरने में सक्षम नहीं थी।
आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में, समझ नहीं पाया कि सीमित कोकून और छोटे छेद से निकलने का संघर्ष तितली के लिए आवश्यक था जो ईश्वर का ही तरीका था कि तितली के शरीर का तरल पदार्थ उसके संघर्ष से पंखों में चला जाए जिससे यह कोकून से अपनी स्वतंत्रता हासिल कर उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाए। कभी कभी संघर्ष की हमारे जीवन में अत्यधिक आवश्यकता होती है।यदि भगवान हमें किसी भी बाधाओं के बिना जीवन जीने की अनुमति दे देगा, तो ये जीवन हमें अपंग बना देगा। हम उतने मजबूत नहीं हो पाएँगे जितना हमें होना चाहिए। हम कभी नहीं उड़ सकेंगे!
जीवन में कुछ भी हमेशा आसान और योजना के अनुसार नहीं होता, कठिनाइयाँ हमें मजबूत व्यक्ति में तब्दील करने के लिए होती हैं। जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है,चुनौतियों का सामना करना ही जीवन को और अधिक सुखमयी और लचीला बनता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हमें अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी | आर्थिक संबलता और आत्मनिर्भर होने के लिए सपनो को पूरा करते हुए , समाज में जो इंसानी भेड़िये घूम रहे हैं, उनको पहचान कर उनसे सावधान रहना होगा और साहस के साथ इनका सामना करते हुए ये बताना होगा कि नारी अबला नहीं है |जब हम खुद अपनी लड़ाई लड़ेंगे तभी तो क़ानून और समाज हमारा साथ देगा , क्योंकि दुनिया में इंसानियत आज भी जिंदा है.
बनना नहि जो आप है परमात्मा उसमें रहना ईश्वर साक्षात्कार करके मै आत्मा हुं चेतन स्व अकेला आया अकेला हि जाता हुं। इस सदंतर चलते जीवन मे स्मरण रहे कि मरण का आना जाना है, शरीर गिरता है "मै चेतन स्व" नही। धन्यवाद।
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