Wednesday, 9 December 2015

घमंडी का सिर नीचा हिंदी कहानी

Pride Has A Fall Hindi Moral Story

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बुराई के अनेक स्वरुप है, इनमे से सबसे विनाशकारी स्वरुप है घमंड। घमंड एक ऐसी बुराई है जो मनुष्य के अन्दर के हजारों अच्छाइयों को दबा देता है। उनके द्वारा किया गया प्रत्येक क्रिया-कलाप में घमंड की छाया साफ़ तौर से देखी जा सकती है। ऐसे व्यक्ति के अन्दुरुनी घमंड की वजह से चेहरे की कान्ति समाप्त हो जाती है। वह अपनेआप को सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को हिन् समझने लगता है। उनके व्यवहार में एवं प्रत्येक क्रिया-कलाप में बहुत तीव्रता होती है ,उसके भीतर का घमंड उन्हें कोई भी कार्य सहजता के साथ नहीं करने देता है। तो चलो देखते है घमंडी की कहानी। घमंड की उम्र बहुत कम होती हैं। इंसान अगर अपने उपर घमंड करता हैं तो वही उसकी सबसे बड़ी असफलता होती हैं और यही घमंड उसे एक दिन सबके सामने शर्मिंदा कर बैठता हैं। जिसके लिए लोग कह गये हैं घमंडी का सिर नीचा।

नारियल के पेड़ बड़े ही ऊँचे होते हैं और देखने में बहुत सुंदर होते हैं। एक बार एक नदी के किनारे नारियल का पेड़ लगा हुआ था। उस पर लगे नारियल को अपने पेड़ के सुंदर होने पर बहुत गर्व था। सबसे ऊँचाई पर बैठने का भी उसे बहुत मान था। इस कारण घमंड में चूर नारियल हमेशा ही नदी के पत्थर को तुच्छ पड़ा हुआ कहकर उसका अपमान करता रहता।

एक बार, एक शिल्प कार उस पत्थर को लेकर बैठ गया और उसे तराशने के लिए उस पर तरह- तरह से प्रहार करने लगा। यह देख नारियल को और अधिक आनंद आ गया उसने कहा- ऐ पत्थर ! तेरी भी क्या जिन्दगी हैं पहले उस नदी में पड़ा रहकर इधर- उधर टकराया करता था और बाहर आने पर मनुष्य के पैरों तले रौंदा जाता था और आज तो हद ही हो गई। ये शिल्पी तुझे हर तरफ से चोट मार रहा हैं और तू पड़ा देख रहा हैं। अरे ! अपमान की भी सीमा होती हैं। कैसी तुच्छ जिन्दगी जी रहा हैं। मुझे देख कितने शान से इस ऊँचे वृक्ष पर बैठता हूँ। पत्थर ने उसकी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया। नारियल रोज इसी तरह पत्थर को अपमानित करता रहता।

कुछ दिनों बाद, उस शिल्पकार ने पत्थर को तराशकर शालिग्राम बनाये और पूर्ण आदर के साथ उनकी स्थापना मंदिर में की गई। पूजा के लिए नारियल को पत्थर के बने उन शालिग्राम के चरणों में चढ़ाया गया। इस पर पत्थर ने नारियल से बोला- नारियल भाई ! कष्ट सहकर मुझे जो जीवन मिला उसे ईश्वर की प्रतिमा का मान मिला। मैं आज तराशने पर ईश्वर के समतुल्य माना गया। जो सदैव अपने कर्म करते हैं वे आदर के पात्र बनते हैं। लेकिन जो अहंकार/ घमंड का भार लिए घूमते हैं वो नीचे आ गिरते हैं। ईश्वर के लिए समर्पण का महत्व हैं घमंड का नहीं। पूरी बात नारियल ने सिर झुकाकर स्वीकार की जिस पर नदी बोली इसे ही कहते हैं घमंडी का सिर नीचा।

घमंडी का सिर नीचा इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती हैं कि हम घमंड करके स्वयं अपनी छवि का अपमान करते हैं। घमंड मनुष्य जीवन के लिए एक शत्रु की तरह हैं जो हमेशा उसके लिए विनाश का मार्ग बनाता हैं।कहते हैं न, सफलता मिल जाती हैं लेकिन जो इस सफलता पर घमंड नहीं करते वास्तव में वही सफल होते हैं। घमंडी व्यक्ति कितना भी उपर उठ जाए एक दिन वो नीचे आकार गिरता हैं और उस वक्त जो उसका अपमान होता हैं उससे बड़ा श्राप उसके लिए कुछ नहीं होता।

घमंड एक ऐसा भाव हैं जिसमे मनुष्य कब फँस जाता हैं उसे इसका भान तक नहीं रहता। इसलिए सदैव अपने जीवन का अवलोकन करना चाहिये। अपने आप को कटघरे में खड़ा कर खुद अपनी करनी, अपने बोले हुए शब्दों का निष्पक्ष न्याय करना चाहिये। और अगर आप खुद को दोषी पाते हैं तो गलती को स्वीकार करे और समय रहते उस गलती के लिए क्षमा मांगे। हर इंसान के अंदर कुछ विशेष गुण होते हैं। हमें उन गुणों को पहचानकर कर्म करना चाहिए और जीवन में सफलता प्राप्त करनी चाहिए। लेकिन कभी भी अपने गुणों पर घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड करने पर नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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