Wednesday, 9 December 2015

बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो हिंदी कहानी

Big Think Hindi Story

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मित्रो ये कहानी दर्शाती है कि हम सोचते क्या हैं और कैसे सोचते हैं। हम अक्सर जैसा सोचते है वैसा ही बन जाते हैं। या हम अपनी सोच के अनुसार ही कार्य करने लग जाते हैं। आइये इस कहानी से इसे समझते हैं। 

अत्यंत गरीब परिवार का एक  बेरोजगार युवक  नौकरी की तलाश में  किसी दूसरे शहर जाने के लिए  रेलगाड़ी से  सफ़र कर रहा था। घर में कभी-कभार ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटीयां ही रखी थी। आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह टिफिन में से रोटीयां निकाल कर खाने लगा। उसके खाने का तरीका कुछ अजीब था , वह रोटी का  एक टुकड़ा लेता और उसे टिफिन के अन्दर कुछ ऐसे डालता मानो रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हो, जबकि उसके पास तो सिर्फ रोटीयां थीं। 

उसकी इस हरकत को आस पास के और दूसरे यात्री देख कर हैरान हो रहे थे। वह युवक हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता। सभी सोच रहे थे कि आखिर वह युवक ऐसा क्यों कर रहा था। आखिरकार  एक व्यक्ति से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ ही लिया की भैया तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तुम्हारे पास सब्जी तो है ही नहीं फिर रोटी के टुकड़े को हर बार खाली टिफिन में डालकर ऐसे खा रहे हो मानो उसमे सब्जी हो।

तब उस युवक  ने जवाब दिया, भैया , इस खाली ढक्कन में सब्जी नहीं है लेकिन मै अपने मन में यह सोच कर खा रहा हू की इसमें बहुत सारा आचार है,  मै आचार के साथ रोटी खा रहा हू । फिर व्यक्ति ने पूछा , खाली ढक्कन में आचार सोच कर सूखी रोटी को खा रहे हो तो क्या तुम्हे आचार का स्वाद आ रहा है ? हाँ, बिलकुल आ रहा है , मै रोटी  के साथ अचार सोचकर खा रहा हूँ और मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है।

युवक ने जवाब दिया। उसके इस बात को आसपास के यात्रियों ने भी सुना, और उन्ही में से एक व्यक्ति बोला , जब सोचना ही था तो तुम आचार की जगह पर मटर-पनीर सोचते, शाही गोभी सोचते…।तुम्हे इनका स्वाद मिल जाता। तुम्हारे कहने के मुताबिक तुमने आचार सोचा तो आचार का स्वाद आया तो और स्वादिष्ट चीजों के बारे में सोचते तो उनका स्वाद आता। सोचना ही था तो भला  छोटा क्यों सोचे तुम्हे तो बड़ा सोचना चाहिए था।

मित्रो इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की जैसा सोचोगे वैसा पाओगे। छोटी सोच होगी तो छोटा मिलेगा, बड़ी सोच होगी तो बड़ा मिलेगा। इसलिए जीवन में हमेशा बड़ा सोचो। बड़े सपने देखो , तो हमेश बड़ा ही पाओगे। छोटी सोच में भी उतनी ही उर्जा और समय खपत होगी जितनी बड़ी सोच में, इसलिए जब सोचना ही है तो हमेशा बड़ा ही सोचो। अधूरे मन से कोई भी काम मत करो। जब तुम्हें लगता है कि तुम किसी काम को नहीं कर सकते हो तो उसे शुरू ही मत करो। ऐसा करना सीख जाओगे तो तुम्हें कभी हारना नहीं पड़ेगा। और हाँ, अच्छा खिलाड़ी बनने की हमेशा कोशिश करना। क्रिकेट, कबड्डी खेलो या फिर खूब दौड़ लगाओ पर कुछ न कुछ जरूर करो। 

सच बोलने का अहंकार नही साहस होना चाहिये ! सच बोलने का सबसे बडा फायदा यह है कि सच बोलने के बाद हमें यह याद नही रखना पडता कि हमने पहले क्या कहा था ! हमेशा सही काम कीजिए ! मेरा विशवास है कि ऐसा करने से दुनिया की बेहिसाब दौलत आपके कदम चूमने को तरसेगी और आपका नाम बहुत जल्द शहर के गिने-चुने धनी व्यक्तियों में गिना जाने लगेगा।

मित्रो, ये बात हमारी ज़िंदगी के हर पल में लागू होती है। हम जैसा सोचते हैं वैसे ही बन जाते हैं और फिर हमें वैसे ही आनंद आने लगता है। कभी कभी हम बहुत छोटा सोचते हैं और हम उसी के अनुसार कार्य करने लग जाते हैं। बाद में जब वक़्त गुजर जाता है तो हमें एहसास होता है कि अगर हमने थोड़ा और बड़ा और बेहतर सोचा होता तो शायद ज़िंदगी बदल भी सकती थी।

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