भोजन कैसे करे Tips To Eat Healthy In Hindi
भोजन से केवल भूख ही शांत नही होती बल्कि इसका प्रभाव तन, मन और मष्तिक पर पड़ता है। अनीति से कमाए पैसे के खाने से मान दूषित होता है। वही तले हुए, मसालेदार, बसी, रचे और गरिष्ठ खाने से मस्तिष्क मैं काम, क्रोध, तनाव जैसी वर्तिया जन्म लेती हैं। भूख से अधिक या कम मात्रा मैं भोजन करने से तन रोग ग्रष्ट बनता है।
हम लोग कभी भी कुछ भी खाते रहते हैं। ये कभी भी कुछ भी खाने पद्ध्ती भारत की नहीं है, ये युरोप की है। युरोप में डोक्टर वो हमेशा कहते रहते है की थोडा थोडा खाते रहो, कभीभी खाते रहो। हमारे यहाँ ये नहीं है, आपको दोनों का अंतर समझाना चाहता हूँ। बागवटजी कहते है की, खाना खाते का समय निर्धरित करें। और समय निर्धरित होगा उससे जब आप के पेट में अग्नी की प्रबलता हो। जठरग्नि की प्रबलता हो। बागवटजी ने इस पर बहुत रिसर्च किया और वो कहते है की, डेढ दो साल की रिसर्च के बाद उन्हें पता चला की जठरग्नि कौन से समय मे सबसे ज्यादा तीव्र होती है। तो वो कहते की सूर्य का उदय जब होता है, तो सूर्य के उदय होने से लगभग ढाई घंटे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होती है।
भोजन करने के भी नियम होते हैं। यह नहीं कि पेट भरना है तो चाहे जब खा लिया और चाहे जब भूखे रह लिये। स्वास्थ्य वैज्ञानिक आजकल खानपान की बदलती प्रवृत्तियों को स्वास्थ्य के लिये खतरनाक बता रहे है। आजकल आधुनिक युवा वर्ग बाज़ार में बने भोज्य पदार्थों के साथ ही ठंडे पेय भी उपयोग कर रहा है जिसकी वजह से बड़ी आयु में होने वाले विकार अब उनमें भी दिखाई देने लगे है। जहां पहले युवा वर्ग को देखकर यह माना जाता था कि वह एक बेहतर स्वास्थ्य का स्वामी है और चाहे जो काम करना चाहे कर सकता है। मौसम या बीमारी के आक्रमण से उनकी देह के लिये कम खतरा है पर अब यह सोच खत्म हो रही है। अपच्य भोज्य पदार्थों और ठंडे पेयो के साथ ही रसायनयुक्त तंबाकू की पुड़ियाओं का सेवन युवाओं के शरीर में ऐसे विकारों को पैदा कर रहा है जो साठ या सत्तर वर्ष की आयु में होते हैं।
अति व्यस्त दिनचर्या होने के कारण लोग अपने खाने में न तो जरूरी तत्वों की तरफ ध्यान रख पाते हैं और न ही शारीरिक व्यायाम के लिए। लोग लगभग पूरी तरह से फास्ट फूड पर निर्भर हो गए हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है। लेकिन यह तर्क गलत है कि संतुलित भोजन खाने से ही स्वास्थ्य सही रहता है। अगर आप खाना चबाकर अच्छे से नहीं खाएंगे तो भी आपका भार असंतुलित होगा। तो चलो जानते है कुछ भोजन करने के तरीके।
* साफ पानी इस्तेमाल कीजिए
कई देशों में साफ पानी आसानी से नहीं मिलता इसलिए लोगों को हर रोज़ अपने परिवार के लिए साफ पानी का इंतज़ाम करना पड़ता है। लेकिन जिन देशों में यह समस्या नहीं है, वहाँ भी बाढ़, आंधी-तूफान, पानी की पाइप टूटने या किसी दूसरी वजह से साफ पानी मिलना मुश्किल हो सकता है। अगर पानी साफ जगह से नहीं आ रहा है या अच्छे से नहीं रखा गया है, तो इससे हमारे पेट में कीड़े पड़ सकते हैं और हमें हैज़ा, जानलेवा दस्त, टाइफाइड, हेपेटाइटिस और दूसरी बीमारियाँ हो सकती हैं। पीने का पानी साफ न होने की वजह से हर साल करीब 160 करोड़ लोग दस्त के शिकार हो जाते हैं।
* खाना पछाए
खाने से उर्जा के साथ सक्त धातुए रक्त, माँस, मज़्ज़ा, अष्ठि आदि पोष्ट होती हैं। केवल खाना खाने से उर्जा नही मिलती, खाना खाकर उसको पचाने से उर्जा प्राप्त होती है। परंतु भागदौड़ और व्यस्तता के कारण इंसान शरीर की मुख्य आवश्यकता खाने पर ध्यान नही देता। जल्दबाज़ी मैं जो मिला, सो खा लिया या चाय-नाश्ता से कम चला लिया। इससे पाचन तन्त्र कमजोर हो जाता है और शरीर का सही पाचन नही हो पता। खाने का सही पाचन हो सके इसके लिए इन बातो पर गौर करे।
* चबाकर खाएं
वजन कम करने वाले लोगों के लिए यह जरूरी है कि खाने को कम से कम 25-30 बार तक चबाकर खाएं। अक्सर पौष्टिक और संतुलित खाना खाते समय लोग जल्दी चबाकर जल्दी-जल्दी खाना खा लेते हैं। चबाकर खाने से कब्ज दूर होती है, दांत मजबूत होते हैं, भूख बढती है तथा पेट की कई बीमारियां नहीं होती। पुरूष की अपेक्षा महिलाएं अपना खाना ज्यादा चबाकर खाती हैं।
* सुबह नाश्ता करें
सुबह का नाश्ता कभी करना न भूलें। सुबह का नाश्ता करने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती है और शरीर का मेटाबोल्जिम भी दुरूस्त रहता है। सारे दिन की एनर्जी, ब्रेकफास्ट से ही बॉडी को मिलती है। ऐसे में स्प्राउट आदि का सेवन बड़ा लाभकारी होता है। सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम का नाश्ता और रात का खाना, इन चार मुख्य आहार को जरूर लें। खाने के बीच लम्बा अंतराल होने या दिन में बस एक दो बार ही खाने से उपापचय की दर कम हो जाती है, जिससे मोटापा बढ़ने लगता है।
* खाने का समय निश्चित करे
एक प्रसीध लोकोकित है “सुबह का खाना स्वयं खाओ, दोपेहर का खाना दूसरों को दो और रात का भोजन दुश्मानोको दो”। वास्तव मे हमे सुबा 10 से 11 बजे के बीच खाना खा लेना चाहिए। ताकि दिनभर कर्य करने के लिए उर्जा मिल सके। कुछ लोग सुबह चाय नास्था करके रात्रि मे खाना खाते है। जो स्वास्थ्या के लिए ठीक नही रहता। दिन का खाना शारीरिक श्रम के अनुसार और रात को हल्का और सुपाचय होना चाहिए। रात्रि का खाना सोने से दो या तीन घंटे पुर्व करना चाहिए। तीव्र भूक लगने पर ही खाना खाना चाहिए। नियत समय पर भोजन करने से पाचन अच्छा होता है। सोने से पहले ज़्यादा मत खाइए, चाय-कॉफी या शराब मत पीजिए।
* खाना खाने के तरीके
हाथ पैर, मूह धोकर आसन पर पूर्वा या दक्षिण की और मूह करके भोजन करने से यश और आयु बढ़ती है। खड़े खड़े, जूते पहनकर सर ढँककर भोजन नही करना चाहिए। खाने को अच्छी तरह चबाकर करना चाहिए। वरना दांतों का काम आँतो को करना पड़ेगा जिससे खाने का पाचन सही नही हो पाएगा। खाना खाते समय मौन रहना चाहिए। इससे खाने मे लार मिलने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। टीवी देखते या अख़बार पढ़ते हुए खाना नही खाना चाहिए। स्वाद के लिए नही, स्वास्थ्या के लिए भोजन करना चाहिए। स्वाद लो लुप्त मे भूख से अधिक खाना बीमारियों को आमतरन देता है। भोजन हमेशा शांतता और प्रसंचित्त होकर करना चाहिए।
कभी भी बिस्तर पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए। खाने की थाली को हाथ में लेकर भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन बैठकर ग्रहण करना चाहिए।थाली को किसी बाजोट या लकड़ी की पाटे पर रखकर भोजन करना चाहिए। खाने बर्तन साफ होने चाहिए। टूटे-फूटे बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए। खाना खाते समय दिशाओं का ध्यान रखें। पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके खाना ग्रहण करना चाहिए। इस उपाय से हमारे शरीर को भोजन से मिलने वाली ऊर्जा पूर्ण रूप से प्राप्त होती है। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन ग्रहण करना अशुभ माना गया है। पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके भोजन करने से रोगों की वृद्धि होती है।
भोजन को देखकर नाक-भौह सिकोड़ने की प्रवृति भी नहीं होनी चाहिए। भोजन जब भी सामने आये जितनी रूचि हो प्रसन्नतापूर्वक ग्रहण करें। बहुत से लोगों की आदत होती है कि मित्र अगर कुछ खा रहा है और वह वस्तु आपको भी पसंद है तो तोड़कर एक टुकड़ा मुंह में डाल लिया। इस प्रकार से कुछ खाना जूठा खाना कहलाता है। इससे पाप बढ़ता है और उर्जा एवं मानसिक क्षमता में कमी आती है। शास्त्रों में नौ प्रकार के महापाप बताए गये हैं इनमें एक पाप अति भोजन भी है। इसलिए भोजन संतुलित करना चाहिए।
थाली की सुंदरता सिर्फ भारत के कल्चर को नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से इसमें मौजूद खाना, शरीर को पोषण भी देता है। अगर आप इस पर ध्यान देंगे, तो यह आज के फूड पिरामिड को प्रस्तुत करेगी। जैसे अनाज में कार्बोहाइड्रेट, फल और सब्जियों में फाइबर, डेरी उत्पाद जैसे दही में न्यूट्रीयंट्स सभी थाली में एक साथ रखी दिखाई देंगी। यह एक तरह से संतुलित आहार माना जाता है, जिसमें मौजूद वैरायटी इसकी जान और शान है।अच्छे स्वास्थ्य के लिये तीन चीजें मुख्य होती हैं :- १।भोजन २।व्यायाम ३।आराम
प्रतिदिन के भोजन में साबुत अनाज, मौसमी सब्जियाँ, तरकारी, दालें और फलियाँ तथा सलाद शामिल करें। समय समय पर फल, दूध और दूध से बने पदार्थ भी लें। यदि आपको किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है, तो आहार विशेषज्ञ से अपने लिए डाइट प्लान बनवाएं।
सप्ताह में एक दिन रस और पानी पीकर रहना चाहिए। चोकर मिलाकर आटे की रोटी खायें। फल और सब्जियां धोकर प्रयोग करें। भोजन करने से पहले और बाद में हाथ धोयें कुल्ला करें और भोजन करने के बाद दान्त अच्छी तरह से साफ करें। खाना खाते समय बातें नहीं करनी चाहिए। भोजन करते हुए चलचित्र या टेलीविजन नहीं देखना चाहिए। भोजन करने के बाद मूत्र त्यागने की आदत डालनी चाहिए। दूध हमेशा सुबह नाश्ते के समय पीना चाहिए। बहुत ज्यादा गर्म व बहुत ज्यादा ठंड़ी वस्तुएं खाने से हमारी पाचनक्रिया पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। भोजन के बाद मट्ठा पीना बहुत ही लाभदायक होता है। एक बार खाने के बाद दूसरी बार खाने से पहले शरीर स्वस्थ न रहे तो दूसरी बार का खाना नहीं चाहिए। दूध के मुकाबले दही आसानी से पचता है। भोजन करने के बाद 3 घंटे तक संभोग नहीं करना चाहिए।
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