Life Hindi Inspirational story
एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत तथा ईमानदारी से करती थी !
गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के खूब खुश थी क्योंकि उसके मालिक जंगल के राजा शेर ने उससे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रक्खा था.
गिलहरी काम करते-करते थक जाती थी परंतु सोचती थी कि थोड़ा आराम कर लूँ ....पर जैसे ही उसे याद आता:- कि शेर उसे ज्यादा काम करने के बदले दस बोरी अखरोट देने का वादा किया है, वह फिर से काम पर लग जाती !
गिलहरी जब दूसरीे गिलहरियों को खेलते - कुदते देखती थी तो उसकी भी ईच्छा enjoy करने की होती पर उसे फिर अखरोट की बोरी याद आ जाती और वो फिर काम पर लग जाती ! और शेर कभी - कभी उसे दूसरे शेर के पास भी काम करने के लिये भेज देता था ! ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था ! शेर बहुत ईमानदार था.
ऐसे ही समय बीतता रहा.... एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आजाद कर दिया ! गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि:-अब अखरोट मेरे किस काम के दाँत तो घिस गये, इसे खाऊँगी कैसे? पुरी जिन्दगी काम करते - करते वह बहुत कमजोर और बिमार हो गई थी वह उसमें से एक अखरोट भी नहीं खा सकी और पानी पीने के बाद वह मर गई! उसके बाद उसके बच्चों ने आधा खाया, आधा खराब किया और थोड़ा बहुत बांट दिया! उन्हें अखरोटों को कमाने की कहानी से कोई लेना देना नहीं था!
दोस्तों यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है ! इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग करता है, और पुरी जिन्दगी नौकरी/धंधे में बिता देता है ! 60 वर्ष की ऊम्र तक वह कमजोर और बिमार हो चुका होता है वो रिटायर्ड होने के बाद उसे जो उसका फन्ड मिलता है ! तब तक पीढ़ी बदल चुकी होती है, परिवार को चलाने वाला मुखिया बदल जाता है ।
क्या नये मुखिया को इस बात का अन्दाजा लग पयेगा की इस फन्ड के लिये कितनी इच्छायें मरी होगी ?
कितने दुख तकलीफ सहे होंगे ? अपने कितने सपनें मारे होंगे ? दोस्तों क्या फायदा ऐसे फन्ड और कमाई का जिसे पाने के लिये पूरी जिन्दगी चक्की की तरह पिसा जाय और उसका इस्तेमाल खुद न कर सके !
दोस्तों इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके और मरते समय अपने धन को साथ ले जा सके।
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