भाई दूज का त्यौहार कैसे मनाये
दोस्तों इस आर्टिकल मे हम जानेंगे भाई दूज कैसे मनाए भाई दूज का उत्सव मनाने की विधि. ये तो आप सभी जानते ही हैं की भाई दूज पर्व भैया के प्रति बहनो के श्रधा और विश्वास का पर्व है. इस पर्व को हर साल कार्तिक के मास के शुक्ला पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन ही मनाया जाता है. इस पर्व को बहने अपने भैया के माथे पर टीलक लगा कर मनाती हैं. भगवान से अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं. bhai dooj kaise manaye
हम सब के जीवन मैं बहुत सारे रिस्ते होते हैं और हर रिश्ते का हमारे जीवन मैं अलग अलग महत्त्व होता हैं. कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो बड़े होने के . हमारे जीवन मैं आते हैं जैसे की पति और पत्नी का रिश्ता, फ्रेंड और फ्रेंड का रिश्ता. कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो जनम से हमारे साथ जुड़े होते हैं जैसे की माता पिता के साथ हमारा रिश्ता. एक ऐसा ही अनोखा और बहुत प्यारा रिश्ता होता हैं . और बहन के बीच का रिश्ता. भाई – बहन का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता हैं जो बचपन से ही हमारे साथ जुड़ा होता हैं और कभी भी ख़तम नही होता.
एक बहन हर हाल मैं बस यही चाहती हैं की उसका भाई हमेशा सलामत रहे और खुश रहे और एक भाई भी हर हाल मैं अपनी बहन की भलाई के बारे मैं ही सोचता हैं. चाहे जीवन मैं कितने भी नये रिश्ते क्यू ना जुड़ जाए मगर फिर भी इस रिश्ते का महत्व कम नही होता. इसी अनोखे बंधन को और ज्यादा खास और पक्का बनाने के लिए समाज ने कुछ नियम और त्योहार बनाया हैं. ऐसा ही एक त्योहार हैं भाई दूज का त्योहार. भाई और बहन के रिश्ते को और ज्यादा खास बनाने मैं इस त्योहार का एक महत्वपुर्णा योगदान हे. आइए जान लेते हैं की भैया दूज का त्योहार कैसे मनाया जाता हैं.
भाई दूज की कहानी - Bhai Dooj ki kahani
भाई दूज से भाई बेहन से जुड़े जितने परवा मनाए जाते है, उनमे रक्षा बंधन और भाई दूज ये दो पर्व विशेष है. कथा के अनुसार याँ देवता ने अपनी बेहन को इसी दिन दर्शन दिए थे. याँ की बहन यमुना अपनी भाई से मिलने के लिए बहुत व्याकुल थी. अपने भाई के दर्शन कर यमुना बेहद परेशान होकर अपने भाई की बहुत अवगवात की. यम ने खुश होकर उसको वरदान दिया की इस दिन अगर भाई बेहन एक साथ यमुना मैं स्नान करेगे, तो उन्हे मुक्ति प्राप्त होगी. इसी कारण से इस दिन यमुना नदी मैं भाई बेहन के साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है. इसके अलावा यम ने यमुना ने अपने भाई से वचन लिया की आज के दिन हर भाई को अपनी बहन के घर जाना चाईए. तभी से भाई दूज मनाने की प्रथा चली आ रही है. जिन भाई की बहने दूर होती है. वो भाई अपनी बहनो से मिलने भाई दूज पर ज़रूर जाते हैं. और उनसे टीका कराकर गिफ्ट आदि देते हैं.
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भाई दूज कैसे मनाये - Bhai Dooj Kaise Manaye
दरअसल, हिंदू समाज मैं भाई बेहन के प्रेम और सुख का प्रतीक यह पर्व दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. क्यूकी यह दिन याम द्वितिय भी कहलाता है. इसलिए इस पर्व पर याँ देव की पूजा भी की जाती है. एक मान्यता के अनुसार इस दिन जो यम देव की उपासना करता है, उसे असामान्य मरण का डर नही रहता है. हिन्दुओ की बाकी फेस्टिवल की तरह भी भाईबीज का उत्सव परंपरा से जुड़ा हुआ है. इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाकर और गिफ्ट देकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं. बदले मैं भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है. इस दिन भाई का अपनी बेहन के घर भोजन करना विशेष रूप से सूभ होता है. (bhai dooj kaise manaye)
भाई दूज के विषय में मान्यताए पौरदीन मान्यता के अनुसार यमुना ने इसी दिन अपने भाई यमराज की लंबी आयु के लिए व्रत किया था, और उन्हे अन्कूट का भोजन खिलाया था. मिथिला नगरी मैं इस पर्व को आज भी यमद्वितिया के नाम से जाना जाता है. इस दिन चावलो को पीस कर एक लैप भैया के दोनो हाथो मैं लगाया जाता है. और साथ ही कुछ स्थानो मैं भाई के हाथो मैं सिंदूर लगाने की भी परंपरा देखी जाती है. भाई के हाथो मैं सिंदूर और चावल का लेप लगाने के बाद उसपर पान के पाँच पत्ते, सुपारी और चाँदी का सिक्का रखा जाता है, उसपर जल उद्लते हुए भाई की दीर्घआयु के लिए के लिए मंत्र बोला जाता है. भाई बहन को गिफ्ट देता है.
भाई दूज को मनाने की विधि - Bhai Dooj Ka Tyohar Manane Ki Vidhi
भाई दूज का फंक्शन बहन के घर मैं ही मनाया जाता हैं. भैया दूज के त्योहार के दिन भाई अपने बहन के घर आता हैं. भैया दूज के दिन बहने बड़े सौख से और खुशी से अपने भाई के लिए अच्छा अच्छा भोजन पकाती हैं. भाई भी इस दिन नहा – धो कर अच्छे से तैयार हो जाता हैं और उसके बाद अपने बहन के घर जाता हैं. बहन अपने भाई को एक अच्छे से आसान पर बिताती हैं. उसके बाद बहन अपने भाई के माथे पर चंदन और चावल का तिलक लगाती हैं. तिलक करने के बाद बहन अपने भाई की आरती उतारती हैं और अगर भाई छोटा होता हैं तो वो अपने बहन का पैर छु कर अपनी बहन से आशीर्वाद लेता हैं और बहन भी अपने भाई को दिल खोल कर आशीर्वाद देती हैं. bhai beej kaise manaye
आरती करने के बाद बहन अपने भाई के लिए जो खाना बनाकर रखती हैं वो बड़े प्यार से अपने भाई को परोसती हैं और अपने भाई को बड़े प्यार से खाना खिलती हैं. भाई भी अपनी बहन को बड़े प्यार से खाना खिलाता हैं. खाना खाने के बाद भाई अपनी बहन को अच्छी अच्छी गिफ्ट्स देता हैं और बहन भी बड़े खुशी और तृप्ति के साथ उस गिफ्ट को ग्रहण करती हैं और बहन भी अपने भाई को बहुत सारे गिफ्ट देती हैं. इसीके साथ भाई और बहन अपने भैया दूज के फंक्शन को ख़तम करते हैं.
भाई बीज का उत्सव - Bhaubeej Ka Utsav
भाई दूज पर्व पर बहने प्रात: स्नान कर, अपने ईस्ट देव का पूजन करती है. चावल के आटे से चौक तैयार करती हैं. इस चौक पर भाई को बिठाया जाता है. और उनके हाथो की पूजा की जाती है. भाई की . पर बहने चावल का घोल लगाती है. उसके उपर सिंदूर लगाकर कहु के फूल, सुपारी, मुद्रा आदि हाथो पर रख कर धीरे धीरे हाथो पर पानी छोड़ जाता है. kaise manaye bhai duj hindi me jaankari
कभी कभी इस दिन बहने अपने भाई के माथे पर तीलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली मैं क्लावा बाँधती हैं. भाई का मूह मीठा करने के लिए भैया को माखन मिशरी खिलाती है. संध्या के टाइम बहने यमराज के नाम से चौमुख दिया जलाकर घर के बाहर दिये का मुख दक्षिद दिशा की और करके रख देती हैं. इस दिन आसमान मैं उड़ती हुई चील देखने के विश्ये मैं यह मान्यता है की बहने भायू की आयु के लिए जो दुआ मांगती है, वो दुआ पूरी होती है. bhai dooj ka tyohar
दोस्तों उपर के लेख मैं हमने बताया की भैया दूज का त्योहार कैसे मनाया जाता हैं. हम चाहते हैं की जिन लोगो को इस त्योहार के बारे मैं पता नही हैं उन्न लोगो को यह जानकारी हो जाए की भैया दूज का त्योहार कैसे मनाया जाता हैं. आप लोग हमारे आज के इस लेख को ज़रा ध्यान से पढ़िए ताकि आप लोगो को भी भैया दूज के त्योहार के बारे मैं पता चल जाए. और इस त्योहार के ज़रिए आप लोग अपने भाई के साथ अपने रिश्ते को और ज्यादा खास बना सके.
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