Zindagi Shayari-1
बरा कठिन है रास्ता जो आसकू तो साथ दू
या ज़िंदगी का फासला मिटा साकू तो साथ दू
बारे फ़रैब खाऊ गे बारे सितम उठाऊ गे
या उमेर भूर का साथ है निभा साकू तो साथ दू
जो तुम काहू तो या दिल तो काइया मैं जान भी फिदा करूँ
जो मैं कहूँ बस इक नज़र लूटा साकू तो साथ दू
हज़ार इंत्यहान , हज़ार आज़माईसाइन
हज़ार दुख हज़ार घूम उठा साकू तो साथ दू
या ज़िंदगी यहाँ खुशी घमून क साथ है
रुला शकू तो साथ दू हुनसा साकू तो साथ दू
Zindagi Shayari-2
इश्क़ लमहादूद जब तक रहनुमा होता नही
ज़िंदगी से ज़िंदगी का हक़ अदा होता नही
इस से बाद कर दोस्त कोई दूसरा होता नही
सब जुड़ा हो जाएँ लेकिन घाम जुड़ा होता नही
बेकरण होता नही बे-इंतेहा होता नही
क़तरा जब तक बाद के क़ुलज़ाम आशना होता नही
ज़िंदगी इक हादसा है और ऐसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नही
दर्द से मॅम्र होती जा रही है क़यानत
इक दिल-ए-इंसान मगर दर्द आशना होता नही
इस मक़ाम-ए-क़ुर्ब तक अब इश्क़ पहुँचा है जहाँ
दीदा-ओ-दिल का भी अक्सर वास्ता होता नही
अल्लाह अल्लाह ये कमाल-ए-इरतबाट-ए-हुस्न-ओ-इश्क़
फ़ासले हों लाख दिल से दिल जुड़ा होता नही
वक़्त आता है इक ऐसा भी सर-ए-बाज़म-ए-जमाल
सामने होते हैं वो और सामना होता नही
क्या क़यामत है के इस दौर-ए-तरक़्क़ी में “जिगर”
आदमी से आदमी का हक़ अदा होता नही
Zindagi Shayari-3
लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी
ज़िंदगी शम्मा के सूरत हो ख़ुदाया मेरी
दूर दुनिया का मेरे दम अंधेरा नो जाए
हर जगह मेरे चमकाने से उजाला हो जाए
हो मेरे दम से यूँ ही मेरे वाटन के ज़ीनत
जिस तरह फूल से होती है चमन के ज़ीनत
ज़िंदगी हो मेरी परवाने के सूरत या रब
इल्म के शम्मा से हो मुझको मोहब्बत या रब
हो मेरा कम ग़रीबों के हिमायत करना
दर्द-मंदों से ज़ाइफों से मोहब्बत करना
मेरे अल्लाह बुराई से बचना मुझको
नेक जो रह हो उस रह पे चलना मुझको
Zindagi Shayari-4
दिल पेश क्रू या वाफफा पेश करू
समझ में ना आए क्या पेश करू
जो तुझको लुभले वो आडया मुझ में न्ही
क्यू ना तुझको कोई तेरी ही अदा पेश करू
अर कसज़
Zindagi Shayari-5
रूह तो नाकाम हो ही जाती ह इश्क़ मैं
आसान नई होता किसी को अपना बनाना
Zindagi Shayari-6
में काबिल ए नफ़रत हूँ तो चोर्र दे मुझ को
तू मुझ से यून दिखावे की मोहब्बत ना किया कर
Zindagi Shayari-7
क्यू शर्मिंदा करते हो मेरा हॉल पूछ कर
हाल मेरा वही है जो तुमने बना रखा है
Zindagi Shayari-8
एहसान करो तो दुआओ मे मेरी मौत माँगना
अब जी भर गया है जिंदगी से
Zindagi Shayari-9
खाना बना रही थी इस लिए गरम हूँ..
मा ने ऐसा कह के अपना बुखार छुपा
लिया.
Zindagi Shayari-10
ज़िंदगी इतनी तकलीफ़ देती हैं
दिल मे फिर b उमीद बनी रहती है
दिल कहता है की कुछ नही होगा
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