Zindagi Shayari-1
किसी को अपना बनाने मे देर लगती है
क्या हुआ वादा निभाने मे देर लगती है
प्यार तो पल भर मे हो जाता है
पर उन्हे भूलने मे सारी उमर भी कम पड़ जाती हैं…
Zindagi Shayari-2
विश्वास बन के लोग ज़िंदगी मे आते है
ख्वाब बन के आँखो मे समा जाते है
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है
फिर ना जाने क्यू बदल जाते है
Zindagi Shayari-3
ज़माने में ऐसे भी नादान होते है
अपनी कश्ती ले जाते हैं जहाँ तूफान होते हैं
क्यों बासाते हो उनको दिल में
जो दिल की बस्ती में चाँद दिनों के मेहमान होते हैं
Zindagi Shayari-4
रिश्ता बनाना इतना आसान है
जैसे मिट्टी पे मिट्टी से मिट्टी लिखना
और रिश्ता निभाना इतना मुश्किल है
जैसे पानी पे पानी से पानी लिखना
Zindagi Shayari-5
आओ जाँच लेते हैं दर्द के तराज़ो पेर,
किस का घाम कहाँ तक ही,
शिदताईं कहाँ तक हैं,
कुछ अज़ीज़ लोगों से पोछना तो परता ही,
आज कल मोहबत की कीमते कहाँ तक हैं,
एक शाम आ जाओ खुल क हाल-ए-दिल कह लें,
कौन जाने साँसों की मोहलतान कहाँ तक हैं
Zindagi Shayari-6
किस क़दर तेरी फिकर करता हों कभी इतना तो सोच.
वरना मैं तो वो खुदग़र्ज़ हू जिसको अपनी ज़िंदगी से भी प्यार नही.
Zindagi Shayari-7
साँसों के सिलसिले को ना दो ज़िंदगी का नाम
जीने के बावजूद भी मार जाते हैं कुछ लोग
Zindagi Shayari-8
आओ मिलते हैं अब तसल्ली से,
ज़िंदगी दरमियाँ थी पहले.
Zindagi Shayari-9
था में नींद मे ओर
मुझे इतना
सजाया जा रहा था.
बड़े प्यार से
मुझे नहलाया जा रहा
था..
ना जाने
था वो कॉनसा अजब खेल
मेरे घर
मे..
बच्चो की तरह मुझे
कंधे पर उठाया जेया
rha
था..
थापास मेरा हर अपना
उस
वक़्त..
फिर बी में हर किसी के मंन
से
भुलाया जेया रा था..
जो क्बी देखते
बी ना थे मोहब्बत की
निगाहों
से..
उनके दिल से बी प्यार मुझ
पर
लूटाया जा रहा था..
मालूम न्ही क्यू
हैरान था हर कोई मुझे
सोते
हुए
देख कर..
ज़ोर-ज़ोर से रोकर मूज़े
जगाया जेया रहा था..
काँप उठी
मेरी रूह वो मंज़र
देख
कर..
जहा मुझे हमेशा के
लिए
सुलाया जेया रहा था...
.
मोहब्बत की
इंतेहा थी जिन दिलो मे
मेरे
लिए..
उन्ही दिलो से आज मई,एक
पल
मे दूर जा रहा
था.
Zindagi Shayari-10
फूलों की महक ,
कातों की चुभन का अहसास है ज़िंदगी !
मंज़िल को पाने की खुशी ,
मुश्किलों से लड़ने का विश्वास है ज़िंदगी !
सदेव चलते रहने का हॉंसला ,
अपनो का आशीर्वाद है ज़िंदगी !
दर्द सहने की शक्ति ,
मौत को हराने का चमत्कार है ज़िंदगी !
सादगी सा बचपन, इठलता लड़कपन ,
जवानी में दुल्हन का शृंगार है ज़िंदगी !
कभी डोर-कभी पास ,
0 comments:
Post a Comment