Monday, 23 November 2015

योगा कैसे करे हिंदी योगा टिप्स

How to Do Yoga at Home in Hindi

meditation tips hindiशरीर को चुस्त और दुरुस्त रखने का सबसे बढि़या तरीका है योगासन। आजकल जंक फूड के ज्यादा प्रयोग और अनियमित दिनचर्या होने की वजह से समय से पहले ही शरीर का बेडौल हो जाना आम समस्या हो गई है। जब मनुष्य कोई भी कार्य करता है तो उससे पहले उसके बारे में अच्छी तरह से जनता है और तब उसकी पूर्ण रूप से तैयारी करता है इसी तरह से योग को शुरू करने से पहले उसके बारे ने जान कर उसकी तैयारी करनी चाहिए। योग के जो भी प्रकार हो हमे पहले उनके बारे में जान कर उनकी तैयारी करनी चाहिए। चाहे फिर हम आसन करे या फिर प्राणायाम,तैयारी तो सब की करनी पड़ती है स्वस्थ रहेने के लिए हमे योग का कोई भी प्रकार करे उन सब के बारे में ज्ञान होना चाहिए तथा उन सब की पूर्ण रूप से तयारी होनी चाहिए और ये बहुत ही महत्वपूर्ण है।

Yoga Tips in Hindi


* आरामदायक जगह निश्चित करे

अगर आपका खुद का छोटसा रूम है तो अच्छा है। अगर ये संभव ना हो तो आप घर मे कोई भी शांत जगह निश्चित करे जो लगभग इतनी हो की आप वहा पर आपकी योगा चटाई बिछाकर घूम सके और आपको परेशनी ना हो और वो जगह सॉफ हो, हवादार हो और कोई भी लोहे की चीज़ जो लग सकती है उससे दूर हो।

* सुविधाजनक समय निश्चित करे

सुबह के वक़्त योगा करना साधारणता अच्छा माना जाता है क्यों की उस वक़्त आप शांत होते है। आपकी उर्जशक्ति सबसे ज़्यादा होती है और उसे पूरे दिन वैसी ही रखने के लिए सहायता करता है। आप कोई भी वक़्त निश्चित कर सकते हे। या तो सबेरे जल्दी, दोपहर के खाने से पहले या फिर शाम को।

* सिम्पल कपड़ों पर योगा करे

ढीले और आरामदाई कपड़ों पर योगा आसानी से कर सकते है। टाइट कपड़ों पर योगा करना मुश्किल है। आपके महंगे रत्ना बगल मे रख दे। और भारी मेकप को टाले। मेकप टाले मतलब हमेशा के लिए नही सिर्फ़ योगा करते वक़्त।

* खाली पेट ही योगा का अभ्यास करे

योगा खाली पेट करना ही अच्छा होता है। आप योगा खाना खाने के 2-3 घंटे बाद भी कर सकते हो। क्यों की ऐसा हो सकता है की आप को आज कोई अलग योगा करने थे या फिर आप कुछ यगसन करना भूल गये और खाना खाने के बाद आपको याद आए तो आप सोचते है चलो अब कर लेता हू कुछ नही होता, पर ऐसे बिल्कुल मत कीजिए। अगर कोई योगासन रह जाए तो दूसरे दिन करले। 

* हर रोज़ अविरोध करे

योगा का अभ्यास हर रोज़ करना बहोत ज़रूरी है, इसे अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बनले और उसके बाद ये आपकी अच्छी सी आदत हो जाएगी। हमेशा याद रखे – 1-2 घंटे कड़ी मेहनत करने से आपको जो नतीजे मिलते है उससे सकारात्मक (पॉज़िटिव) नतीजे दिन मे सिर्फ़ 20 मीं योगा का अभ्यास करने से मिलते है। 

* शरीर से कोमलता से पेश आए

अपने शरीर को सम्मान दे और हर योगासन को नर्मी और हस्ते हुए करे। बहुत ज़ोर से योगा करने से या फिर जल्दी जल्दी करने से इसके फायदे आपको जल्दी होंगे ऐसा नही है। इससे आप सिर्फ़ अपना कठनाई और दर्द बढ़ा लेंगे।

* हमेशा तरह तरह के योगासन करे

तरह तरह के योगासन और शवासन प्रक्रिया करे। इस के लिए सरल उपाय है, आप हर रोज़ 2-3 तरह के योगासन करे और सन्डे को सब एकसाथ करे। योगा अगर परिवार या दोस्तों के साथ हो तो और भी अच्छा, क्यों की इससे आप अकेले करते हुए बोर भी नही होंगे और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ कुछ अच्छा वक़्त भी बिता पाएँगे। योगा करते वक़्त प्राणायामा या शवासन नियंत्रण (Breath Control) ज़रूरी है। श्वसन नियंत्रण अलग अलग तरीके के होते है।

पहले ही दिन से सब तरह के योगासन करना शुरू ना करे, क्यों की इससे आपको लगेगा की ये बहुत ही ज़्यादा है और शायद आप इसे करने हुए तक जाए और योगा करना ही बँध करदे। इससे अच्छा हर रोज़ या हफ्ते मे 1-2 योगा करना बढ़ाए, या जैसे उपेर लिखा है हर दिन 2-3 तरह के योगा करे और सनडे को सब एकसाथ करे ये भी अच्छा सूज़ा है।

योगासन करना पूर्ण रूप से सरल है इसमें मनुष्य के शरीर को किसी भी पारकर की हनी, चोट, या नुकसान नहीं होता है योगासन सभी प्रकार के रोगों को दूर करने वाला एक पूर्ण रूप से सुरक्षित और सरल व्यायाम है जिसे करने से मनुष्य के शरीर स्वस्थ और सुन्दर बनता है योगासन करने से मनुष्य के दिमाग का विकास भी पूर्ण रूप से होता है योगासन एकमात्र ऐसा व्यायाम है जो जल्दी और चमत्कारी प्रभाव देता है यदि हम योगासनों को गलत तरीको से करते है तो ही हमे इससे नुकसान हो सकता है।

1 comment:

  1. हरीहर मे भेद मिटते ही ईश्वर साक्षात्कार अवश्य होता है। हरी खाना है और हर शौच मार्ग से होता विसर्जन है। धन्यवाद। नारायण (अन्न खाकर अन्न का संपूर्ण त्याग होजाना) एक बार तमोगुण द्वार से दूसरी बार रजोगुण से भी मुक्ति तीसरी बार सत्वगुण जो सबसे बडी माया मै धर्मिष्ठ मै अच्छे पन का रोग जीसका इलाज कही नही होता ऐसे तीसरी बार नारायण करनेसे स्व की प्राप्ति अहंब्रह्म की अनुभूति धन्यवाद।

    🍃|| "तत्वप्राप्ति" - लक्ष्य अब दूर नहीं ||
    🍃|| श्री हरि: शरणम् ||🍃
    🍀🍂🍃🍀🍃🍂🍀
    
    क्या आप जानते है परमात्मा को जिन्होने सभी मनुष्य रुपी जीवो को अपने जैसा बनाया और सभी मनुष्य ईश्वर अंश जीव का चेतन स्व वह स्वयं निर्गुण निराकार सर्वगुण संपन्न अकर्ता होते हूवे भी, जीसकी सत्ता के बगैर पेड का पत्ता और सारे जीवो की आँख की पलक नहीं झपकती, ना हि आँख की कीकी हिलती है।धन्यवाद। शादि का मतलब सादा गृहस्थ जीवन समझो हिन्दु धर्म का महत्व महानुभव पर नही हम हमारे भूत और भविष्य मे जीते है जब के जीवन सिर्फ वर्तमान मे हि होता है, "कहते है खबर नही पलकी क्या सोचे कलकी" न जाण्युं जानकी नाथे सवारे शुं थवानुं छे। भगवान सिर्फ वर्तमान है। वर्तमान मे रहने के लिए सांसो पर ध्यान, सांसो से प्राण पर ध्यान सबसे पहले यह दोनों हमारा मतलब ईश्वर अंश जीव अविनाशी "मनुष्य शरीर मै" का साथ छोड देते है। बस मनुष्य इतना करले तो कयी जन्मो से चित्त शक्ति को जाग्रत होने मे मदद मिलती है और ध्यान गहराई मे पहोचते ही अखंड अवाज जो कोई नही करता न दो वस्तु चीजो से उत्पन्न हो ति है यह एक हाथ की ताली समझ लो वह सूनाई देती है। उसमें आनंद भरपूर हरीहर है। धन्यवाद।
    
    नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
    🍃🍀🍂🍃🍀🍂🍃

    "आत्मा एक उसके शरीर धारण जीवात्मा अनेक, सत्ता एक चेतन स्व ईश्वर की उसके खेल अनेक" धन्यवाद। वास्तव में अपने शुद्ध चेतन स्वरूप में जड " अहम् " की स्वीकृति से ही हम बँधे है अगर " मैं " को अस्वीकार कर दें तो मुक्त हैं |

    मैं तै मोर तोर की माया | वस कर लीन्हीं जीवन काया ||

    मैं मेरे की जेवरी गल वँध्यो संसार | दास कवीरा क्यों बँधे जाके राम अधार ||

    * जिस अहम् की अपने शुद्धस्वरूप में स्वीकृति से हम बँधते है उसी अहं की अस्वीकृति से छूट जाते है -

    " निर्ममो निरहंकार: स शान्तिमअधिगच्छति" ( गीता )

    || श्री हरि: शरणम् || 
    जन्म हा एका थेंबासारखा असतो
    आयुष्य एका ओळीसारखं असतं,
    प्रेम एका त्रिकोणासारखे असतं पण
    मैत्री असते ती वर्तुळासारखी,
    ज्याला कधीच शेवट नसतो..! "
    वेळ, सत्ता, संपत्ती आणि शरीर साथ देवो अथवा न देवो परंतु चांगला स्वभाव,समजुतदारपणा आणि चांगले संबंध कायम आयुष्यभर साथ देतात....!

    ⛄🎭 शुभ सकाळ 🎭⛄

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