Monday 9 November 2015

एक विशेष जोड़ी, रेहाना और जीतू की प्रेरणादायक हिंदी कहानी

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दोस्तो, आज आपको एक विशेष पति-पत्नी का परिचय कराना है ये पति-पत्नी खुद के लिए नहीं , लेकिन समाज के लिए जीते है। बस्ती में रहने वाले और प्रेम के अभाव, में रहते 1000 से भी अधिक बच्चे के लिए रहना और जीतू माता-पिता बनकर उनके लये काम करते है। चाय की केबिन पे और कचरा उठाकर कुछ पैसे कमा लेते थे। और फिर अपराध के रास्ते से भटक जाते ये बच्चो के लिए ये पति पत्नी ने बहुत मार्गदर्शक का काम किया है। उन्होंने विश्वनिदम नाम का संगठन शुरू किया और बस्ती में रहते बच्चो को पढ़ाना शरू किया। शुरुआत में बहुत छोटे पैमाने से काम शुरू किया लेकिन आज 1000 से भी ज्यादा बच्चो को शिक्षा की सेवाएं प्रदान करते है । राजकोट की 7 बस्ती के अलावा अब तो उनकी सेवा राजकोट के बाहर भी विस्तार हो रही है। बहुत लोगो ये सेवा की प्रवृति में सामील होकर रेहाना और जीतू को मजबूत बना रहे है। 

समाज के कई दानदाताओं भी इसमें सामिल होकर मदद कर रहे है। और कॉलेज के युवाओं शिक्षक बनकर इस सेवा में अपना योगदान दे रहे है। बचती के इन बच्चे को शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण दे कर और अलग अलग प्रकार की आर्थिक गतिविधियों में भी सामिल कर रहे है। जिससे पढ़ाइ के साथ साथ थोड़े पैसे भी कमा सके। दोस्तों रेहाना और जीतू ने अपने संतान को इस दुनिया में न लाने का निर्णय लिया है। क्योंकि उसके मुताबिक वो सभी बच्चे उसके अपने बच्चे है। इस बच्चों के लिए अब तो “हेपिहोम” नामकी हॉस्टल भी शुरू की है। जहा बच्चों बिलकुल फ्री में रह सकते हैं बिलकुल अपने घर की तरह।

विश्वनीडम का सफ़र:

- 2002 में पांच बच्चों के केंद्र से शुरुआत

- 2003 में कलरव के नाम से प्रथम केंद्र।

- निर्मला कॉन्वेंट स्कूल ने भी योगदान दिया, वहा 430 बच्चे विश्वनिडम के भी पढाई करते है।

- 2009 में राजकोट के नटराजनगर और रैयाधार क्षेत्र में भी केंद्र शुरू किया।

- 7 बस्ती के 700 बच्चे को ज्ञान का प्रकाश मिला।

- उनके परिवार की भी व्यसन मुक्त बनाया।

- बस्ती का एक महेश नामका लड़का भी BBA में पढाई कर रहा है।

- विश्वनिडम के बस्ती के स्कूल जाते बच्चे भी वेबडिज़ाइन सिखाते है।

- राजकोट की निर्मला, सेंट पॉल, जिवनशांती, परिश्रम, कृष्णा न्यू एरा, हरिवंदना ये सभी स्कूल विश्वनिडम के बच्चे को मुफ्त में पढ़ाती है। 

- कई संघर्ष और कठिनाइयों का सामना करके भी ये पति पत्नी अपनी सेवा की मिसाल को कायमी जींदा रखी है। कभी भी अपने कार्य को कोई जाहेरात भी नहीं। उनके कार्य के बारे में लिखने बेठे तो कागज भी कम पड़ते है, हम सभी इस पति पत्नी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से , सभी प्रकार की मदद करके उसके ये कार्य को साथ देकर मदद रूप बने।

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