Sunday 3 January 2016

हलासन कैसे करे और उसके फायदे

How To Do Halasana Yoga In Hindi

halasana yoga benefitsहलासन का मतलब है किसान के हल की तरह शरीर को आकार देना। यह आसन कई बीमारियां दूर करता है। साथ ही साथ यह आसन गर्दन को सीधा व लचीला और  वजन को घटाने के लिए महत्वपूर्ण योगासन है। हलासन करते समय शरीर का आकार, किसानों द्वारा जमीन जोतने के लिए उपयोग में लाये जानेवाले उपकरण 'हल' के समान होने के कारण इस आसन को हलासन यह नाम दिया गया हैं। अंग्रेजी में इस आसन को 'Plow Pose' कहा जाता हैं। वजन कम करने और मेरुदंड को मजबूत, लचीला बनाने के लिए एक उत्तम आसन हैं।

यह आसन शरीर और चेहरे की त्वचा के लिए बढ़िया है। त्वचा में चमक लाने के लिए अपनी दिनचर्या में इस आसन को शामिल कर लें। रोज सुबह नियमित रूप से हलासन करने से आप में काम करने की इच्छा जाग्रत होगी। लेकिन इसके साथ आपको तनाव मुक्त रहना होगा और संतुलित आहार खाना होगा जिससे कि आप स्वस्थ और निरोग रह सके।

हलासन करने का तरीका 

•  प्रातः काल जमीन पर आसन बिछाकर उस पर लेट जाएं और कुछ देर मन को शांत रखें।

•  हलासन को करने के लिए सबसे पहले नीचे पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को बगल में सीधा व जमीन से सटाकर रखें। 

•  फिर दोनों पैरों को आपस में मिलाकर रखें तथा एड़ी व पंजों को भी मिलाकर रखें। 

•  अब दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं, पैरों को उठाने के क्रम में पहले 30, 60 फिर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए पैरों को सिर के पीछे की ओर जमीन पर लगाएं और पैरों को बिल्कुल सीधा रखें। 

•  अपने हाथ को सीधा जमीन पर ही टिका रहने दें। इस स्थिति में आने के बाद ठोड़ी सीने के ऊपर के भाग पर अर्थात कंठ में लग जायेगी। 

•  हलासन की पूरी स्थिति बन जाने के बाद 8 से 10 सैकेंड तक इसी स्थिति में रहें और श्वास स्वाभाविक रूप से लेते व छोड़ते रहें। 

•  फिर वापिस सामान्य स्थिति में आने के लिए घुटनों को बिना मोड़े ही गर्दन व कंधों पर जोर देकर धीरे-धीरे पैरों को पुन: अपनी जगह पर लाएं।

हलासन के फायदे (Halasana Benefits In Hindi)

•  पाचन प्रणाली और प्रजनन प्रणाली को मजबूर बनाता हैं। 

•  पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी को कम करता हैं। वजन कम करने में सहायक हैं। 

•  मधुमेह के मरीजो के लिए लाभदायक हैं।  

•  मेरुदंड मजबूत और लचीला बनता हैं। 

•  रजोनिवृत्ति , अनिद्रा , बाँझपन , सिरदर्द और थाइरोइड के विकार में यह आसन करने से लाभ मिलता हैं।
  
•  गर्दन, कंधे, पेट, पीठ और कमर के स्नायु मजबूत बनते हैं। 

•  पेट बाहर नहीं निकलता है और शरीर सुडौल दिखता है।

•  हलासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डियां लचीली रहती है।वृद्धावस्था में हड्डियों से सम्बन्धित कई प्रकार की परेशानियों से बचने के लिए भी यह आसन बहुत ही उपयुक्त होता है।यह आसन पेट सम्बन्धी रोग, थायराइड, दमा, कफ एवं रक्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।

सावधानियाँ

•  इस आसन को सुबह खाली पेट में करें।

•  हलासन को अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही करें। जो लोग मोटे हैं वे इस आसन को धीरे-धीरे करें।

•  पैरों को आराम से पीछे की तरफ ले जाएं झटका न दें।

•  अत्यधिक मोटापा होने पर शुरुआत में कठिनाई हो सकती हैं इसलिए क्षमतानुसार धीरे-धीरे प्रयास करे।

•  कमर दर्द, गर्दन दर्द या मेरुदंड में कोई तकलीफ होने पर अपने डॉक्टर की सलाह लेकर यह आसन करे।

•  हृदय रोग एवं रक्तचाप सम्बन्धी परेशानियों में भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

•  रजोधर्म के समय स्त्रियों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

•  पैर को ऊपर, पीछे और निचे लाते समय धीरे-धीरे क्रिया करनी है और पैरो को झटका नहीं देना हैं।

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