Monday, 26 October 2015

Zindagi Shayari in Hindi Page-2

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Zindagi Shayari-1

अब के ताजडीद-ए-वफ़ा का नही इम्कन जनन
याद क्या तुझ को दिलाएँ तेरा पैमान जनन
यूँ ही मौसम के अदा देख के याद आया है
किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसान जनन
ज़िंदगी तेरी आता थी सो तेरे नाम के है
हम ने जैसे भी बसर के तेरा एहसान जनन
दिल ये कहता है की शायद हो फसुरड़ा तू भी
दिल के क्या बात करें दिल तो है नादान जनन
अव्वल-अव्वल के मुहब्बत के नशे याद तो कर
बेपीए भी तेरा चेहरा था गुलिस्ताँ जनन
आख़िर आख़िर तो ये आलम है की अब होश नही
राग-ए-मीना सुलग उठी की राग-ए-जान जनन
मुद्ड़ातों से ये आलम ना तव्क़्क़ो ना उमीद
दिल पुकारे ही चला जाता है जनन जनन
हम भी क्या सदा थे हम ने भी समझ रखा था
गम-ए-दौरान से जुड़ा है गम-ए-जनन जनन
अब के कुछ ऐसी सजी महफ़िल-ए-याराँ जनन
सर-बा-ज़नू है कोई सर-बा-गिरेबान जनन
हर कोई अपनी ही आवाज़ से कांप उठता है
हर कोई अपने ही साए से हिरसन जनन
जिस को देखो वोही ज़ंजीर-बा-पा लगता है
शहर का शहर हुआ दाखिल-ए-ज़िंदन जनन
अब तेरा ज़िक्र भी शायद ही ग़ज़ल में आए
और से और हुआ दर्द का उंवान जनन
हम की रूठी हुई रुत को भी माना लेते थे
हम ने देखा ही ना था मौसम-ए-हिजरां जनन
होश आया तो सभी ख्वाब थे रेज़ा-रेज़ा
जैसे उड़ते हुए औराक़-ए-परेशन जनन.

Zindagi Shayari-2

हवा के आवाज़
खुश्क पत्तों के सरसराहट से भर गई
रोष-रोष पर फतदा फूलों ने
लाखों नौहे जगा दिए हैं
सिलेटी शुआएँ
बुलंद पेड़ों पर गुल मचाते
सियाह कोओं के क़ाफिलों से आती हुई हैं
हर एक जानिब खीज़न के क़ासिद लपक रहे हैं
हर एक जानिब खीज़न के आवाज़ गूँजती है
हर एक बस्ती कशाकश-ए-मार्ग-ओ-ज़िंदगी से निढाल होकर
मुसाफिरों को पुकारती है की – आओ
मुझ को खीज़न के बेमहार
तल्ख़ एहसास से बचाओ

Zindagi Shayari-3

जीने को सब जीते हैं
हेर साया ज़ुख़्मी
जंगल के पन्षी
चुप के केडी
Burbat के नगमे
दूर का शोले पेटे हैं
करने का जज़्बे
रोटी के केडी
दूर्या का पानी
भेगी बिल्ली
हूर बिल के सुंख मैं रहते हैं
जो खुश्की की घुतरी को
बारिश सुंजे थे खोले
सूब आबी भागे
दोराय
कुश कूट मेरी
खुश तक ग्रे
जो चुलते गया
खाबून की बस्ती बस्ते हैं
जीने को सूब जीते हैं

Zindagi Shayari-4

ज़िंदगी एक किराये का घर है एक ना एक दिन बदलना पड़ेगा
मौत जब हम को आवाज़ देगी घर से बाहर निकलना पड़ेगा
ढेर मट्टी का हर आदमी है बाद मरने के होना यही है
या ज़मीनों में तुरबत बनेंगे या चिताओं पे जलना पड़ेगा
रात के बाद होगा सवेरा देखना है अगर तुम को दिन सुनेहरा
पावं फूलों पे रखने से पहले तुम को काँटों पे चलना पड़ेगा
ऐतबार उन के वादों का मार कर वरना आए दिल मेरे ज़िंदगी भर
तुझ को भी मोमबत्ती के तरह क़तरा क़तरा पिघलना पड़ेगा
ये जवानी है पल भर का सपना ढूंड ले कोई महबूब अपना
ये जवानी अगर ढाल गई तो उम्र भर हाथ मलना पड़ेगा

Zindagi Shayari-5

ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले चीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो काग़ज़ के कश्ती, वो बारिश का पानी
मुहल्ले के सबसे निशानी पुरानी
वो बुढ़िया जिसे बचे कहते थे नानी
वो नानी के बातों में परियों का डेरा
वो चहरे के झुरिर्यों में सदियों का फेरा
भुलाए नही भूल सकता है कोई
वो छोटी सी रातें वो लंबी कहानी
कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिड़िया वो बुल-बुल वो तितली पकड़ना
वो गुड़िया के शादी में लड़ना झगड़ना
वो झूलों से गिरना वो गिर के संभालना
वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफे
वो टूटी हुई चूड़ियों के निशानी
कभी रेत के उँचे तिलों पे जाना
घरोंदे बनाना बनके मिटाना
वो मासूम चाहत के तस्वीर अपनी
वो ख्वाबों खिलौनों के जागीर अपनी
ना दुनिया का घाम था ना रिश्तों के बंधन
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी

Zindagi Shayari-6

वो दिल नवाज़ है नज़र शनस नही
मेरा इलाज मेरे चरागर के पास नही
तड़प रहे हैं ज़बान पर कई सवाल मगर
मेरे लिए कोई शयन-ए-इल्तमस नही
तेरे उजलों में भी दिल कांप कांप उठता है
मेरे मिज़ाज को आसुदगी भी रस नही
कभी कभी जो तेरे क़ुर्ब में गुज़री थे
अब उन दिनों का तसवउर भी मेरे पास नही
गुज़र रहे हैं अजब मरहलों से दीदा-ओ-दिल
सहर के आस तो है ज़िंदगी के आस नही
मुझे ये दर है की तेरी आरज़ू ना मिट जाए
बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नही

Zindagi Shayari-7

ज़िंदगी तुझ से मिल कर ज़माना हुआ
आ तुझे आज हम मैकड़े ले चलें
रात के नाम होंतों के सागर लिखें
अपनी आँखों में कुछ रत-जागे ले चलें
क्या हस्सीं लोग हैं
आँख आहों के हैं और लब पंखाड़ी
इन के आरैश-ए-खाल-ओ-खत के लिए
अपनी आँखों के हम आईने ले चलें
अजनबी चेहरे में दोस्त बनाते नही
रिश्ते-नाटों के चाँदी बरसती नही
क़ुरबाटें सोहबातें जिन के याद आएँगी
ऐसे कुछ दोस्तों के पाते ले चलें
उन के आँखों ने जलते सुलगते हुए
मंज़रों के सिवा कुछ भी देखा नही
चेहरा-ए-अफ़सोस के सकिनों के लिए
फूल-ओ-खुश्बू सबा ज़म-ज़में ले चलें
ज़िंदगी तुझ से मिल कर ज़माना हुआ

Zindagi Shayari-8

कभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम के इक खूबसूरत शाम हो जाए
हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए
चरगों के तरह आँखें जलें जब शाम हो जाए
अजब हालत थे यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर
मोहबत के हवेली जिस तरह नीलम हो जाए
समंदर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवाएँ तेज़ हों और कश्टियोन में शाम हो जाए
मैं खुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ,
कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाए
मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आसमान चुने में जब नाक़ाम हो जाए
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
ना जाने किस गली में ज़िंदगी के शाम हो जाए

Zindagi Shayari-9

जहाँ फूलों को खिलाना था वहीं खिलते तो अछा था
तुम्हीं को हम ने चाहा था तुम्हीं मिलते तो अछा था
कोई आकर हमें पूछे तुम्हें कैसे भुलाया है
तुम्हारे खत को अश्कों से शब-ए-गम में जलाया है
हज़ारों ज़ख़्म ऐसे हैं अगर सिलाते तो अछा था
तुम्हें जितना भुलाया है तुम्हारी याद आई है
बाहर-ए-नौ जो आई है वो ही खुश्बू लाई है
तुम्हारे लब मेरी खातिर अगर हिलाते तो अछा था
मिला है लुत्फ़ भी हम को हसीन यादों के झील-मिल में
कटती है ज़िंदगी तुम बिन मगर इतनी सी है दिल में
अगर तुम आते तो अछा था अगर मिलते तो अछा था.

Zindagi Shayari-10

ये माना ज़िंदगी है चार दिन के
बहुत होते हैं यारो चार दिन भी
खुदा को पा गया वाइज़ मगर है
ज़रूरत आदमी को आदमी के
मिला हूँ मुस्कुरा के उस से हर बार
मगर आँखों में भी थी कुछ नामी सी थी
मुहब्बत में कहें क्या हाल दिल का
खुशी ही कम आती है ना घाम ही
भारी महफ़िल में हर एक से बचाकर
तेरी आँखों ने मुझ से बात कर ली
लड़कपन के अदा है जान-लेवा
ग़ज़ब के छोकरी है हाथ-भर के
रक़ीब-ए-गामज़दा अब सब्र कर ले
कभी उस से मेरी भी दोस्ती थी

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