Wednesday, 14 October 2015

Dosti Shayari Page-3

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Dosti Shayari-1

ए दोस्त तेरी याद में दिल का उसूल है
हम तुझ को भूल जाएगे यह तेरी भूल है
मेरी आँखों से कोई आँसू ना निकला लेकिन
घर के हर दर से रोने की सदा आती है
शिकवे भी ज़ियादा है और शिकायत भी बहोत है
और इश्स के लिए दिल में मोहब्बत भी बहोत है
तुम “अंजान” से बिछड़ जाओ तो यूँ मायूस ना होना
क्यूंकी रिश्तो के निभाने में मुसीबत भी बहोत है.

Dosti Shayari-2

माना के उन के नेज़ों पे अब सर नही कोई
क्या उन के आस्तीन में भी खंजर नही कोई
मजबूरियों ने घर से निकालने ना दिया
दुनिया समझ रही है मेरा घर नही कोई
अब क्या करेंगे हम नये सूरजकी रोशनी
जब देखने के वास्ते मंज़र नही कोई
दिल हो रहा है देर से खामोश झील सा
क्या दोस्तों के हाथ में पथर नही कोई
क़िस्मत सभी के वक़्त के हाथों में रहती है
इस दौर में किसी का मुक़द्दर नही कोई

Dosti Shayari-3

अगेर हम दोस्त होते
तू करम की इंतहा केरते
तुम्हे पलकून पे रखते हम
तुम्हे दिल मैं बासाते हम
अगेर तुम रूठ जाते तू
तुम्हे कितना मानते हम
जो मिलने तुम नही आते तू
आ कर खुद तुम्हे मिलते
तुम्हारी लघज़िशून को भी
हँसी मैं हम यूरा देते
अगेर अपनी ख़ाता होती
तू खुद को भी सज़ा देते
मगेर यह सब जब ही होता
अगेर हम दोस्त होते तू
मगेर इतना ही जाना है
क तुम ने आज तक हम को
पराया कह कर जाना है
कभी हमदम ना माना है
अगेर हम दोस्त होते तू .

Dosti Shayari-4

दोस्ती तेरी हम को प्यारी हे
सारी दुनिया से ये निराली हे
तू अगर मॅंगल ये जान मुझ से
हँसके दे दें गे ये तुम्हारी हे
तू मेरा दोस्त कितना प्यारा हे
तेरे बिन अब न्ही गुज़रा हे
पास हो दूर चाहे होता हे
तेरा हर पल मुझे शरा हे
ज़िंदगी जबभी गम मे दुबई हे
इसको तूने दिया शरा हे
तेरी बातों से आएसा लग ता हे
तेरा खुशियों से कुछ किनारा हे
गम मे डूबा हे तेरा हर पल क़्नु
जब तुझे मिला मेरा शरा हे
तुझ से हम ने काइया ये वाडा हे
आखरी सांस तक निभाएँगे
बस खुदा से दुवा ये माँगी हे
तेरी खुश को सिर्फ़ माँगा हे
तुझ को मिल जाई तेरी शुषा सब
रब से हर पल यही माँगा हे.
आप को किसी भी तार हाँ की शायरी चाहिए बताना
मे उसी तार हाँ की लिख ने की कोशिश करूँगी.

Dosti Shayari-5

मंज़िल-ए-जनन को जब ये दिल रवाँ था दोस्तो
तुम को मैं कैसे बताऊ क्या समान था दोस्तो
हर गुमान पहने हुए था एक मलबुस-ए-यक़ीन
हर यक़ीन जान दादा-ए-हुस्न-ए-गुमान था दोस्तो
दिल की हर धड़कन मकान-ओ-लामकान पर थी मुहित
हर नफास राज़-ए-दोआलाँ का निशान था दोस्तो
क्या खबर किस जूसतजू में इस क़दर आवारा था
दिल के जो गांज़ीना-ए-सरर-ए-निहान था दोस्तो
ढूँढने पर भी ना मिलता था मुझे अपना वुजूद
मैं तलाश-ए-दोस्त में यूँ बेनिशान था दोस्तो
मार्कअड-ए-इक़बाल पर हाज़िर थी जब दिल की तड़प
ज़िंदगी का एक परदा दरमियाँ था दोस्तो
क़र्ब ने पैदा किया था खुद ही दूरी का समान
फासला वरना हेल कहाँ था दोस्तो
बेखुदी में जब मेरे होंतों ने चूमा क़ब्र को
मेरे सीना से गाड़ा-ए-फुरसियान था दोस्तो
रु-बा-रु-ए-जलवा-ए-मार्कअड वुजूद-ए-कम आयर
ज़र-ए-नाक़िस शर्मसार-ए-इंतेहाँ था दोस्तो
पर्ताव-ए-दिल में निहान थी तह-बतेह ये खामोशी
इश्क़ का वो भी इक इज़हार-ए-बयान था दोस्तो
जलवागह-ए-दोस्त का आलम कहूँ मैं तुम से क्या
जलवा ही जलवा वहाँ था मैं कहाँ था दोस्तो
सजडागाह-ए-खुर्शियाँ था यान ना जाने क्या था वो
जो मेरी नज़रों के आयेज आस्तान था दोस्तो
दिल ने हर लम्हे को देखा इक निराले रंग में
लम्हा लम्हा दास्तान दर दास्तान था दोस्तो
जिस के शेर-ओ-नागमगी पर उसत-ए-आलम थी तंग
हर सुबह को वो दोपहरे बेकरण था दोस्तो
सो रहा था खाक के नीचे जहाँ-ए-ज़िंदगी
राज़-ए-हस्ती मेरी नज़रों पर अयान था दोस्तो
काश तुम भी मेरी पलकों का नज़ारा देखते ये 
 नज़ारा कहकशां दर कॅह्कशान था दोस्तो

Dosti Shayari-6

फूल बनकर मुसकराना ज़िंदगी है.,
मुस्करा के गुम भूलना ज़िंदगी है.,
मिलकर लोग खुश होते है तो क्या हुआ..,
बिना मिले दोस्ती निभाना भी ज़िंदगी है.
दिल की हस्ती मिट गयी होती,
और सारे दर्द बढ़ गये होते,
जिंदगी आप जैसे दोस्तो की अमानत है,
वरना हम तो कब के बिखर गये होते..

Dosti Shayari-7

आओ अब कोई दोस्त ऐसा बनाया जाए
जिसे पलकों पे सजाया जाए
रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ इस तरहा के ,की
वो रहे भूखा तो हुंसे भी कुछ खाया ना जाए.

दोस्ती के भी अपने अंदाज़ होते है,
जागती आँखो मे ख्वाब होते है,
सोई आँखो मे सैलाब होते है,
क्यो की दोस्ती क रिश्ते तो नायाब होते है
कहो उसी से जो ना कहे किसी से!
माँगो उसी से जो देदे खुशी से !
चाहो उसे जो तुम्हे मिले किस्मत से !
दोस्ती करो उसी से जो हमेशा निभाए हसी से.

Dosti Shayari-8

सफ़र के हद है वहाँ तक के कुछ निशान रहे
चले चलो के जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाए क़दम और आ गई मंज़िल
मज़ा तो जब है के पैरों में कुछ थकान रहे
वो शख्स मुझ को कोई जालसाज़ लगता है
तुम उस को दोस्त समझते हो फिर भी ध्यान रहे
मुझे ज़मीन के गहरईओं ने डब लिया
मैं चाहता था मेरे सर पे आसमान रहे
अब अपने बीच मारसीं नही अदावत है
मगर ये बात हमारे ही दरमियाँ रहे
मगर सितारों के फसलें उगा सका ना कोई
मेरी ज़मीन पे कितने ही आसमान रहे
वो एक सवाल है फिर उस का सामना होगा
दुआ करो के सलामत मेरी ज़बान रहे

Dosti Shayari-9

अगर आप एक Tedy Bear होते
तो पास आपने रख लेती
डाल की आपनी झोली में
संग आपने ले चलती
सुबहो शाम देती एक प्यारा सा किस
काहेती मिस्टर हूँ मैं तेरी मिस
हग कर के रोज़ रात को
संग आपने सुलाती
काश आप बार्बी डॉल होते
तो आपने शो केस में रख लेती
देखा के आपने दोस्तों को
खूब बॉस्ट किया करती
जब खेलती सखिया घर घर
तो आपना दूल्हा बना लेती
हलवा पूरी बना के रोज़
आपने दूल्हे राजा को देती
अगर आप मेरे Doggi होते
तो चैन से बनाध के रखती
कान पकड़के कीचती
और खूब प्यार करती
अगर आप होते मेरे पीसी
तो दिन रात आप को देखती
चाहे मामा कितना दट्ती
आप से ही बाते करती रहेती
पर आप हो एक हक़ीक़त हो
आप को दिल हूँ दे बती
पा नही सकती तो क्या
यह दोस्ताना नही टूटने दूँगी

Dosti Shayari-10

काश हमारी दोस्ती अची थी,
काश इसे रिश्ते का नाम ना दिया होता,
सहारे के लिए मिले दामन को देख,
काश तुमहरा हाथ थम ना लिया होता,
आँखो से बहते अपने दर्द तो छिपाने केलिए,
काश तुमाहरी बाहोमे समा ना गये होते,
तुमहरे चुने भर से ही.. है..
काश हम शर्मा ना गये होते,
सागर के लहरो को देख तुमहरे साथ सपने संजोए ना होते,
तुमहरे हाथो की चूवान से
काश यह होत थरथराए ना होते,
अंजाम जानते हुए भी
काश हम उस रह के रही कहलाइए ना होते,
यही सोच सोच कर कुध को कोसते है आज,
की काश यह सब ना हुआ होता,
तब तो सिर्फ़ तन्हाई की बूँद थी, पर.
अब यह तन्हाई का समंदर ना होता.

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