Dosti Shayari-1
मेरे दिल की सारी धड़कने
मारे ख्वाब मेरी चाहतें
मेरे दोस्त तेरे नाम
मैं तुज पे ये जान अपनी
ये बिसरते तुजपे सोप दूं
कोई दुख ना तुज को मिले काबी
मारे रोज़-शुब की इबादते
मेरे दोस्त तेरे नाम
मेरे लब पा हर दूं यही दुआ
के तुजे नसीब हूँ रह्तैन
मेरे अपना आप तो कुछ भी नहीं
मेरी साँसे तेरी अमानते
मेरे दोस्त तेरे नाम
Dosti Shayari-2
तुम्हारे दोस्त कितने है ये मत बत्ताओ
तुम केसे दोस्त हो ये बत्ताओ
तुम्हारे दोस्तो क तो गिनती लखो मे होगी
उनमे से कॉन्सा, ओर क्यू प्यारा ओर केसे है ये बत्ताओ
उस दोस्त से जितना होगा दोस्ती निभाई
तुमने उसका कितना सात निभाया ये बत्ताओ
हर मुस्किल मे हर मुशीबत मे तुम्हारे सात था वो
फिर भी गेरो से तुमने उसकी क्यू क बुरारी ये बत्ताओ
सुबा होते ही तुमसे मिलने आ जाता है घर तुम्हारे
तुम कितनी बार उससे मिलते हो ये बत्ताओ
जब कभी ऑफीस मे या घर पे डांट तुमको पड़ती है
उसने कितना हसाया ओर तुमने गुसे मे क्या खा ये बत्ताओ
तेरे रूठ जाने से वो कितना मनांता, कितने तोफे देता
उसके नाराज़ होने पे तुमने कितना मनाया ये बत्ताओ
वो दोस्त आज नही है करीब तुम्हारे तो उदास क्यू हो
तुमने उसे कितना जाने से रोका मुझे ये बत्ताओ
क्या कोई कमी थी उसकी दोस्ती मे या
तुम उसकी दोस्ती की काबिल नही ये बत्ताओ
आज ये शायरी लिख कर, उस दोस्त क याद दिला द आशिक़े ने
ये मेने शाही क्या या गॉल्ट मुझे साफ-3 ये बत्ताओ
Dosti Shayari-3
दोस्ती पहली बारिश की बूँदो में है,
दोस्ती खिलते फूलों की खुश्बू में है,
दोस्ती ढलते सूरज की किरनो में है,
दोस्ती हर नये दिन की उमीद है,
दोस्ती खवाब है,दोस्ती जीत है,
दोस्ती प्यार है,दोस्ती गीत है,
दोस्ती दो जाहानो का संगीत है,
दोस्ती हर खुशी,दोस्ती ज़िंदगी,
दोस्ती टिशनगी,दोस्ती बंदगी है,
दोस्ती संग चलती हवओ में है,
दोस्ती इन बरसती घटाओ में है,
दोस्ती दोस्तो की वाफाओ में है,
हाथ उठा के जो माँगी गयी है दुआ,
दोस्ती का असर उन दुआव में है.
Dosti Shayari-4
ज़िंदगी तुझ से मिल कर ज़माना हुआ
आ तुझे आज हम मैकड़े ले चलें
रात के नाम होंतों के सागर लिखें
अपनी आँखों में कुछ रात-जागे ले चलें
क्या हॅसिन लोग हैं
आँख आहों के हैं और लब पंखाड़ी
इन के आरैश-ए-खाल-ओ-खत के लिए
अपनी आँखों के हम आईने ले चलें
अजनबी चेहरे में दोस्त बनाते नही
रिश्ते-नाटों के चाँदी बरसती नही
करबाते सोहबातें जिन के याद आएँगी
ऐसे कुछ दोस्तों के पाते ले चलें
उन के आँखों ने जलते सुलगते हुए
मंज़रों के सिवा कुछ भी देखा नही
चेहरा-ए-अफ़सोस के सकिनों के लिए
फूल-ओ-खुश्बू सबा ज़म-ज़में ले चलें
ज़िंदगी तुझ से मिल कर ज़माना हुआ
Dosti Shayari-5
दोस्ती,साहिल है ,मज़ेदार मैं डूबे हुओं के लिए,
दोस्ती,बाहर है,पातज़्द की मार खाए हुओं के लिए,
दोस्ती,एक खुशी है, हर गम भूलने के लिए,
दोस्ती,चिराग है,आन्धेरोन मैं घिरे हुओं के लिए,
दोस्ती,रहगुजर है,तूफ़ानो से जूज्ते हुओं के लिए,
दोस्ती,खवाब है,हालत से मार खाए हुओं के लिए,
दोस्ती को कफ़न किसी का कफ़न ना बनने बीजीए,क्यूंकि
दोस्ती,’जिंदगी’ है मौत से पहले मरने वालों के
लिए.
Dosti Shayari-6
हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गये हैं
ज़िंदा तो हैं जीने के अदा भूल गये हैं
खुश्बू जो लूटते हैं मसलते हैं उसी को
एहसास का बदला ये मिलता है काली को
एहसास तो लेते हैं सिला भूल गये हैं
करते हैं मुहब्बत का और एहसास का सौदा
मतलब के लिए करते हैं ईमान का सौदा
दर मौत का और ख़ौफ़-ए-खुदा भूल गये हैं
अब मों में ढालकर कोई पठार नही होता
अब कोई भी क़ुरबान किसी पर नही होता
क्यू भटके हैं मंज़िल का पता भूल गये हैं
Dosti Shayari-7
अर्ज़ कीया है
दूर रह कर दूरियो को बदाया नही करते,
अपने दीवानों को इस तराहा तडपाया नही करते.
हर वक़्त जिसको हो सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारा हे ख़याल
उसको अपने मैल के लेया तडपाया नही करते..
अब कुछ और भी है
हम आपनो से कफा हो ना सके,
दोस्ती के रिश्ते मे बेवफा हो ना सके
आप भले हूमे भुला के सू जाओ
हम आप को याद कीया बिना सू ना सके.
और क्या बोलू,
एक बात और
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते है
तूफ़ानो मे साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते है.
यू तो मिल जाते है हाज़ारो गाल गुलाबी,
पेर गालो पे तिल बड़ी मुश्किल से मिलते है.
दोस्तो मैने आपने दोस्त को कभी देखा नही है, but it is only my imagenation.
जाते जाते,
तुम्हे गैरों से कब फ़ुर्सत,
हम अपने गुम से कब खाली.
चलो बस हो चुका मिलना,
ना तुम खाली ना हम खाली.
इसको मेरे दोस्त ने मुज़से कहा था के मैं इसको ग्रूप मे भेज दू, सो मैने उसके
बात मान ले.
सो प्ल्स दुआ करो, के उसका एक मैल आ जाए इसको पड़ने के बाद.
Dosti Shayari-8
तेरी बाज़म-ए-तरब में सोज़-ए-पिन्हं लेके आया हूँ
चमन में याद-ए-अय्याम-ए-बहाराँ लेके आया हूँ
तेरी महफ़िल से जो अरमान-ओ-हसरत लेके निकाला था
वो हसरत लेके आया हूँ वो अरमान लेके आया हूँ
तुम्हारे वास्ते ए दोस्तो मैं और क्या लता
वतन के सुबह और शाम-ए-ग़रीबन लेके आया हूँ
मैं अपने घर में आया हूँ मगर अंदाज़ तो देखो
के अपने आप को मानिंद-ए-महमान लेके आया हूँ
Dosti Shayari-9
फिर भी है तुमको मसीहाई का दावा देखो
मुझको देखो, मेरे मरने के तमन्ना देखो
जुर्म-ए-नज़्ज़ारा पे कों इतनी खुशमाद करता
अब वो रूठे हैं लो और तमाशा देखो
दो ही दिन में वो बात है ना वो चाह ना प्यार
हम ने पहले ही ये तुम से ना कहा था देखो
हम ना कहते थे बनावट से है सारा गुस्सा
हंस के लो फिर वो उन्हों ने हमें देखा देखो
मस्ती-ए-हुस्न से अपनी भी नही तुम को खबर
क्या सुनो अर्ज़ मेरी, हाल मेरा क्या देखो
घर से हर वाक़्य निकल आते हो खोले हुए बाल
शाम देखो ना मेरी जान सवेरा देखो
खाना-ए-जान में नमुदर है एक पैकर-ए-नूर
हसरतो आओ रुख़-ए-यार का जलवा देखो
सामने सब के मुनासिन नही हम पर ये इतब
सर से ढाल जाए ना गुस्से में दुपट्टा देखो
मार मिटे हम तो कभी याद भी तुम ने ना किया
अब मुहब्बत का ना करना कभी दावा देखो
दोस्तो तर्क-ए-मुहब्बत के नसीहत है फज़ूल
और ना मानो तो दिल-ए-ज़र को समझा देखो
सर कहीं बाल कहीं हाथ कहीं पनो कहीं
उस का सोना भी है किस शान का सोना देखो
अब वो शोखी से ये कहते हैं सीतमगार जो हैं हम
दिल किसी और से कुछ रोज़ बहला देखो
हवस-ए-डिड मिटी है ना मितेगी “हसरत”
देखने के लिए चाहो उन्हें जितना देखो
Dosti Shayari-10
कभी सोचती हूँ तुमारे बिना ये ज़िंदगी अधूरी है
कभी सोचती हूँ तुमारे बिना ये ज़िंदगी फ़िज़ुउल है
पर दिल से कहते है के ये प्यार तुमारे बिना एक खाली किताब है
दुनिया के रागिन फूल तुमारे खुशियों के बिना फ़िज़ुउल है
और कुच्छ ना कहे पावू में आज के इस महफ़िल के फूल है
जो दिल-ओ-दिमाग़ से लगी हुए एक ताबीज़ मेरे दिल-ओ-जान है
इस खुशी को समेत कर आपने दिल में छुपाए चल रहे है
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