Life is Full of Nectar Hindi Motivational Story

स्वाद के सामने वह भय को भूल गया। उसने टपकते हुए मधु की ओर बढ़कर अपना मुंह खोल दिया और तल्लीन होकर बूंद-बूंद मधु पीने लगा, परन्तु यह क्या? उसने आश्चर्यचकित होकर देखा कि वह जटा के जिस मूल को पकड़कर लटका हुआ था, उसे एक सफेद और एक काला चूहा कुतर-कुतर कर काट रहे थे। प्रश्नकर्ता की प्रश्नसूचक मुद्रा को देखकर टॉल्सटॉय ने कहा, नहीं समझे तुम? उसने कहा, आप ही बताइए। तब वे समझाते हुए उससे बोले- 'वह हाथी 'काल' था, मगरमच्छ 'मृत्यु' थी। मधु 'जीवन-रस' था और काला तथा सफेद चूहा 'रात और दिन'। इन सबका सम्मिलित नाम ही जीवन है।
तात्पर्य यह है कि वर्तमान में हमारा जीवन सीमित समय तक के लिए है और हमें इसकी डैडलाइन भी मालूम नहीं है। फिर भी हम किसी प्रकार के भय से मुक्त रहकर अपने निर्धारित कामों में आनंदपूर्वक तल्लीन रहें। इसी का नाम जीवन है, जो मधुरस से परिपूर्ण है। हर एक के जीवन में सुख और दुःख दोनों आते हैं जैसे कि समुद्र में ज्वार-भाटा। हमें चाहिए कि इन दोनों को एक 'समभाव' में लेते हुए समय का आदर करें यानि इसका एक क्षण भी व्यर्थ न जाने दें। अगर कोई यह कहे कि ‘अभी मेरी यूथ एज है, 42-50 का होने के बाद मैं जीवन के प्रति गंभीरता से सोचूंगा, तो यह उसका कोरा भ्रम है, क्योंकि जीवन तो जन्म से ही चलता आ रहा है।
महान् व्यक्तियों की जीवनियां बताती हैं कि व्यक्ति के जीवन का मूल्य उसकी लम्बी उम्र से नहीं, बल्कि उसकी कृतियों से आंका जाता है। यहां कुछ ऐसे व्यक्यिों के उदाहरण हैं जो 42-50 की आयु से ऊपर नहीं पहुंचे और वे अपनी महान् कृतियों और उपलब्धियों के द्वारा विश्व में अपना नाम छोड़ गए, जैसे- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, स्वामी विवेकानंद, स्वामी शंकराचार्य, जयशंकर प्रसाद, लाला हरदयाल, पी.बी. शैली, जॉन एफ. कैनेडी इत्यादि। मानव-जीवन बार-बार नहीं मिलता है। अतः इस सीमित जीवन में हमें ऐसे प्रशंसनीय कार्य करके अपनी अमिट छाप यहां छोड़े कि आगे चलकर दूसरे लोग उनसे 'प्रेरणा' लेते रहें।
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